आप सभी को बता दे कि आज चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन है. जी हाँ, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि की पूजा करने का विधान है और मां दुर्गा के सातवीं स्वरूप और चार भुजाओं वाली मां कालरात्रि असुर रक्तबीज का संहार करने के लिए उत्पन्न हुई थीं. आप सभी को बता दें कि मां कालरात्रि को शुभंकरी भी कहते हैं और आज हम आपको बताने जा रहे हैं माँ की उपासना के लाभ, उनका भोग.
इनकी उपासना से क्या लाभ हैं? -
कहते हैं इनकी उपासना से कई लाभ होते हैं जैसे-
- शत्रु और विरोधियों को नियंत्रित करने के लिए इनकी उपासना अत्यंत शुभ मानते हैं.
- इनकी उपासना से भय, दुर्घटना तथा रोगों का नाश हो सकता है.
- इनकी उपासना से नकारात्मक ऊर्जा का (तंत्र मंत्र) असर नहीं होता.
- ज्योतिष में शनि नामक ग्रह को नियंत्रित करने के लिए इनकी पूजा करना अद्भुत परिणाम मिलने लगता है.
क्या है मां कालरात्रि की पूजा विधि? - इसके लिए मां के समक्ष घी का दीपक जलाएं. अब इसके बाद मां को लाल फूल अर्पित करें, साथ ही गुड़ का भोग लगाएं. अब इसके बाद मां के मन्त्रों का जाप करें, या सप्तशती का पाठ करें. इसके बाद भोग लगाये गए गुड़ का आधा भाग परिवार में बांटें. अब बाकी आधा गुड़ किसी ब्राह्मण को दान कर दें. ध्यान रहे काले रंग का वस्त्र धारण करके या किसी को नुकसान पंहुचाने के उद्देश्य से पूजा ना करें.
अगर आप अपने शत्रु और विरोधियों को शांत करना चाहते हैं तो ऐसे करे मां कालरात्रि की पूजा? - इसके लिए श्वेत या लाल वस्त्र धारण करके रात्रि में मां कालरात्रि की पूजा करें. अब मां के समक्ष दीपक जलाएं और उन्हें गुड़ का भोग लगाएं. इसके बाद 108 बार नवार्ण मंत्र पढ़ते जाएं और एक एक लौंग चढ़ाते जाएं. अब नवार्ण मंत्र है- "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे "अब उन 108 लौंग को इकठ्ठा करके अग्नि में डाल दें. ऐसा करने से आपके विरोधी और शत्रु शांत होंगे.
मां कालरात्रि को क्या विशेष प्रसाद अर्पित करें? - माँ को गुड़ का भोग अर्पित करें और इसके बाद सबको गुड़ का प्रसाद वितरित करें. कहा जाता है इसे खाने से सबका स्वास्थ्य अत्यंत उत्तम होगा.
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