नवरात्रि का पर्व चल रहा है और इस पर्व के दौरान हम आपको बताने जा रहे हैं मातारानी के शक्तिपीठ के बारे में। जिस शक्तिपीठ के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं वह है कपालिनी। यह पश्चिम बंगाल के जिला पूर्वी मेदिनीपुर के पास कुड़ा स्टेशन से 24 किलोमीटर दूर ताम्रलुक ग्राम (तामलुक) स्थित विभाष स्थान पर है। कहा जाता है यहाँ रूपनारायण नदी के तट पर माता की बायीं एड़ी गिरी थी।
जी हाँ और इसी के चलते यह शक्तिपीठ बन गया। रूपनारायण नदी के तट पर स्थित वर्गभीमा का विशाल मन्दिर ही विभाष शक्तिपीठ है। कहा जाता है इसकी शक्ति है कपालिनी (भीमरूप) और शिव को शर्वानंद कहते हैं। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि यहां स्थित मंदिर को 1150 वर्ष पहले मयूर वंश के महाराजा ने बनवाया था। जी हाँ और मेदिनीपुर के इस मंदिर को भीमाकाली मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। आपको बता दें कि भगवान कृष्ण के चरण कमलों की उपस्थिति से इस स्थान को पवित्र किया गया है।
जी हाँ और काशीदास महाभारत और जैमिनी महाभारत के अनुसार, श्रीकृष्ण खुद तमलुक आए और अश्वमेध यज्ञ के लिए अश्व को छोड़ा था। यहाँ गर्भगृह के अंदर, काली माँ की मूर्ति काले टचस्टोन से बने विशाल शिवलिंग के बगल में संरक्षित है। इस तरह से माँ के कई शक्तिपीठ हैं जिनके बारे में भक्त हमेशा पढ़ना पसंद करते हैं।
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