हिंदू धर्म में मां लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है। कहते हैं जहाँ माता लक्ष्मी का वास होता है, वहां कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है। इसी के साथ ऐसी भी मान्यता है कि माँ लक्ष्मी के जीवन में होने से हमेशा सुख-शांति बनी रहती है। वहीं धर्म शास्त्रों के अनुसार, जिन लोगों के घर में माता लक्ष्मी की प्रतिमा या मूर्ति होती है और नियमित रूप से उनकी पूजा आराधना की जाती है। कहा जाता है ऐसे लोगों की यश और कीर्ति चारों दिशाओं में फैलती है।
जी हाँ और यही वजह है कि हर कोई माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए दिन पूजा पाठ और रात मेहनत करता है। वहीं पूजा के अलावा यदि कुछ ज्योतिषीय उपाय को अपना लिया जाए, तो मां लक्ष्मी की कृपा मिल सकती है। आज हम आपको अष्टलक्ष्मी स्तोत्र बताने जा रहे हैं जिसका नियमित रूप से सुबह-शाम पाठ किया जाए तो महालाभ होता है।
श्री अष्टलक्ष्मी स्त्रोतम:
आदि लक्ष्मी
सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि चंद्र सहोदरि हेममये।
मुनिगण वन्दित मोक्षप्रदायिनी मंजुल भाषिणि वेदनुते।
पङ्कजवासिनि देवसुपूजित सद-गुण वर्षिणि शान्तिनुते।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि आदिलक्ष्मि परिपालय माम्।
धान्य लक्ष्मी:
अयिकलि कल्मष नाशिनि कामिनि वैदिक रूपिणि वेदमये।
क्षीर समुद्भव मङ्गल रुपिणि मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते।
मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि देवगणाश्रित पादयुते।
जय जय हे मधुसूदनकामिनि धान्यलक्ष्मि परिपालय माम्।
धैर्य लक्ष्मी:
जयवरवर्षिणि वैष्णवि भार्गवि मन्त्र स्वरुपिणि मन्त्रमये।
सुरगण पूजित शीघ्र फलप्रद ज्ञान विकासिनि शास्त्रनुते।
भवभयहारिणि पापविमोचनि साधु जनाश्रित पादयुते।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि धैर्यलक्ष्मि सदापालय माम्।
गज लक्ष्मी:
जय जय दुर्गति नाशिनि कामिनि वैदिक रूपिणि वेदमये।
रधगज तुरगपदाति समावृत परिजन मंडित लोकनुते।
हरिहर ब्रम्ह सुपूजित सेवित ताप निवारिणि पादयुते।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि गजलक्ष्मि रूपेण पालय माम्।
शत्रुओं पर पाना है विजय तो घर में लगाए इस फूल का पौधा, बढ़ेगी सुख समृद्धि
विश्व विजेता सिकंदर के हाथ में था ये निशान, अगर आपके हाथ में भी है तो आप हैं लकी