आप सभी को बता दें कि नवरात्रि के पांचवे दिन दुर्गा रूपी माँ स्कंदमाता की आराधना करते हैं और माँ दुर्गा और शिव जी की संतान कार्तिकय है जिन्हे स्कन्द भी कहते हैं. ऐसे में कार्तिकेय भगवान् की माता के रूप में दुर्गा माँ को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है और स्कंदमाता की गोद में कार्तिकेय भगवान को देखा जा सकता है. आइए जानते हैं आज माता दुर्गा के स्वरुप.
माता दुर्गा के स्वरुप-
पहला नवरात्र - माँ शैलपुत्री
दूसरा नवरात्र - माँ ब्रह्मचारिणी
तीसरा नवरात्र - माँ चंद्रघंटा
चौथा नवरात्र - माँ कुष्मुण्डा
पाचवां नवरात्र - माँ स्कंदमाता
छठा नवरात्र - माँ कात्यायनी
सातवां नवरात्र - माँ कालरात्रि
आठवां नवरात्र - माँ महागौरी
नौवां नवरात्र - माँ सिद्धिदात्री
यहाँ जानिए आज माँ स्कन्दमाता को खुश करने के लिए उनका स्तोत्र पाठ -
नमामि स्कन्दमाता स्कन्दधारिणीम्।
समग्रतत्वसागररमपारपार गहराम्॥
शिवाप्रभा समुज्वलां स्फुच्छशागशेखराम्।
ललाटरत्नभास्करां जगत्प्रीन्तिभास्कराम्॥
महेन्द्रकश्यपार्चिता सनंतकुमाररसस्तुताम्।
सुरासुरेन्द्रवन्दिता यथार्थनिर्मलादभुताम्॥
अतर्क्यरोचिरूविजां विकार दोषवर्जिताम्।
मुमुक्षुभिर्विचिन्तता विशेषतत्वमुचिताम्॥
नानालंकार भूषितां मृगेन्द्रवाहनाग्रजाम्।
सुशुध्दतत्वतोषणां त्रिवेन्दमारभुषताम्॥
सुधार्मिकौपकारिणी सुरेन्द्रकौरिघातिनीम्।
शुभां पुष्पमालिनी सुकर्णकल्पशाखिनीम्॥
तमोन्धकारयामिनी शिवस्वभाव कामिनीम्।
सहस्त्र्सूर्यराजिका धनज्ज्योगकारिकाम्॥
सुशुध्द काल कन्दला सुभडवृन्दमजुल्लाम्।
प्रजायिनी प्रजावति नमामि मातरं सतीम्॥
स्वकर्मकारिणी गति हरिप्रयाच पार्वतीम्।
अनन्तशक्ति कान्तिदां यशोअर्थभुक्तिमुक्तिदाम्॥
पुनःपुनर्जगद्वितां नमाम्यहं सुरार्चिताम्।
जयेश्वरि त्रिलोचने प्रसीद देवीपाहिमाम्॥
इस स्कन्दमाता के कवच से आज कर सकते हैं माँ को खुश-
ऐं बीजालिंका देवी पदयुग्मघरापरा।
हृदयं पातु सा देवी कार्तिकेययुता॥
श्री हीं हुं देवी पर्वस्या पातु सर्वदा।
सर्वांग में सदा पातु स्कन्धमाता पुत्रप्रदा॥
वाणंवपणमृते हुं फ्ट बीज समन्विता।
उत्तरस्या तथाग्नेव वारुणे नैॠतेअवतु॥
इन्द्राणां भैरवी चैवासितांगी च संहारिणी।
सर्वदा पातु मां देवी चान्यान्यासु हि दिक्षु वै॥
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