इस एक कारण की वजह से लोग नहीं समझ पाते यहां शादी है या मातम

इस एक कारण की वजह से लोग नहीं समझ पाते यहां शादी है या मातम
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शादी इंसान के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा होता हैं. शादी के बाद लड़का और लड़की अपनी नई जिंदगी शुरू करते हैं, शादी में आपने अब तक लड़कियों को लाल रनग के जोड़े में ही देखा होगा और इसी में विदा होती है. शादी के बाद महिलाएं कभी भी सफ़ेद साड़ी नहीं पहनती क्योंकि ये अशुभ माना जाता है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पर दुल्हन लाल नहीं बल्कि सफ़ेद जोड़े में विदा होती हैं. इसक पीछे का कारण बिलकुल अनोखा है जो आपको हैरान कर देगा. तो आइये जानते हैं इसके बारे में. 

दरअसल, मध्यप्रदेश के मंडला जिले का भीमडोंगरी गांव की बात है. इस गांव के आदिवासी समाज के लोग रंगीन साड़ी की बजाय सफेद साडी में दुल्हन को ब्याह कर घर लाते हैं. इतना ही नहीं गांव का हर बंदा सफ़ेद कपड़ों में नज़र आता है.  यहां बच्चों से लेकर बुजुर्ग और दुल्हन से लेकर विधवा सभी सफेद पोशाक पहनते हैं. यहां मातम और जश्न का एक ही लिबास है. इसके पीछे भी एक कहानी है. यहां की शादी भी अजीब होती है. सबसे चौंकाने वाली बात तो यह होती है कि वधु पक्ष के घर में सिर्फ चार फेरे होते हैं और बचे तीन फेरे विदाई के बाद वर पक्ष के घर में होते हैं.

असल में गौंडी धर्म का पालन करने वाले इस गांव के लोगों की माने तो सफेद रंग शांति का प्रतीक होता है. साथ ही सफेद रंग को पवित्र भी माना गया है. गौंडी धर्म के अनुयायी अन्य आदिवासियों से बिल्कुल अलग होते हैं. इनके गांव में शराब पीना और बनाना पूर्णत प्रतिबंधित रहता है. लेकिन मुश्किल ये होती है कि सफ़ेद कपड़ों से ये पता लगा पाना कठिन होता है कि यहां शादी की खुशियां हैं या मौत का मातम.

 

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