ग्वालियर: मध्यप्रदेश के ग्वालियर में वार्ड नंबर 44 से पार्षद और हिंदू महासभा के नेता बाबूलाल चौरसिया अब कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। आप सभी जानते ही होंगे बाबूलाल उस वार्ड से पार्षद हैं जहां नाथूराम गोडसे का मंदिर बना था। बीते कल ही पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की मौजूदगी में उनका पार्टी में स्वागत हुआ। अब इसे देखने के बाद बीजेपी लगातार सवाल खड़े कर रही है। BJP ही नहीं बल्कि कांग्रेस के भी कई नेता सवाल खड़े करने में लगे हुए हैं। बीते बुधवार को कांग्रेस में शामिल होने के बाद बाबूलाल चौरसिया का एक बयान आया जिसमें उन्होंने खुद को जन्मजात कांग्रेसी बताया।
बापू हम शर्मिंदा है.... ।।#महात्मा_गांधी_अमर_रहे@INCIndia @RahulGandhi @priyankagandhi @digvijaya_28 @rssurjewala @ANI @PTI_News @IANSKhabarhttps://t.co/NPfriZaVbO
— Arun Yadav ???????? (@MPArunYadav) February 25, 2021
वहीं इसी दौरान गोडसे के मंदिर और पूजा के सवाल पर उन्होंने कहा, 'हिन्दू महासभा ने उन्हें अंधेरे में रखकर गोडसे की पूजा कराई थी। पिछले 2-3 साल से वे इनके इस तरह के कार्यक्रम से दूरी बनाकर चल रहे थे। उनके मन में हिन्दू महासभा की विचारधारा समाहित नहीं हो सकी।' इतना ही नहीं बल्कि उनका कहना है, 'मैंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था और जीता था। चुनाव में जब टिकट कटा और हिंदू महासभा प्रमुख ने उन्हें अपनी पार्टी से चुनाव लड़ने के लिए कहा तो उन्होंने नामांकन दाखिल कर दिया लेकिन अब मैं अपने परिवार के साथ फिर से जुड़ गया हूं।'
गोडसे की दरिन्दगी को छोड़कर गांधी की अहिंसा की तरफ़ लौटने का समय है।
— Praveen Pathak (@PRAVEENPATHAK13) February 25, 2021
परिवर्तन की शुरुआत ग्वालियर से हो चुकी है ।#वक्त_है_बदलाव_का@RahulGandhi @priyankagandhi @MukulWasnik @kcvenugopalmp @INCMP@digvijaya_28 @rssurjewala @ANI @INCIndia @OfficeOfKNath @PTI_News pic.twitter.com/I4R8xSG6Ri
वहीं उनके इस बयान से कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव सहमत नहीं है। उन्होने ट्विटर पर लिखा है- 'बापू हम शर्मिंदा हैं।' वहीं दूसरी तरफ ग्वालियर से विधायक प्रवीण पाठक का कहना है, 'पहले चौरसिया कांग्रेस में थे लेकिन उन्होंने बाद में हिंदू महासभा से चुनाव लड़ा और पार्षद के रूप में चुने गए। हमारी पार्टी के नेता (राहुल गांधी) ने अपने पिता के हत्यारों को माफ कर दिया, वे (गांधी) इतने बड़े दिल वाले हैं, यह उनके मूल्यों के कारण है कि गोडसे की पूजा करने वाला व्यक्ति गांधीजी की पूजा करने लगा।'
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