भोपाल: मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कुल 230 सीट हैं और भाजपा ने इन 230 सीटों में से सिर्फ एक सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट दिया है। वो सीट है- भोपाल उत्तर। वहीं यहां की उम्मीदवार हैं फातिमा रसूल सिद्दीकी। लेकिन क्या ये इतना ही सीधा-सादा है जितना जानकारी के तौर पर दिखता है, बिल्कुल नहीं। ये पेचीदा है और इसकी पड़ताल इसी वजह से जरूरी भी हो जाती है। कुछ सवाल हैं। सिर्फ एक मुस्लिम को टिकट क्यों? फातिमा रसूल क्यों? भोपाल उत्तर सीट ही क्यों? क्या ये सीट एक प्रयोगशाला है जिसमें कुछ परखनलियां फिट की गई हैं? राजनीति के रसायनों में घुलकर, वोटों की ताप से मिलकर, हो सकता है भाजपा को कुछ नया ही हासिल हो जाए। आइए, एक-एक कर करते हैं इन सबकी पड़ताल।
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जानकारी के अनुसार बता दें कि इस मामले में भाजपा ने पुरानी बात को एक बार और कह दिया है। यहां बता दें कि 2013 में भी पार्टी को सिर्फ एक मुस्लिम उम्मीदवार मिल पाया था। वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ बेग को पार्टी ने टिकट दिया लेकिन वो चुनाव हार गए। ऐसे में देखा जाए तो नया कुछ भी नहीं है। वहीं पार्टी को लगता है कि इस सीट पर गैर-मुस्लिम चेहरा उतारने का उसे शायद फायदा नहीं होगा। हालांकि 2008 में वो आज के मेयर आलोक शर्मा को उतार चुकी है। तब आलोक भी हार गए थे।
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यहां बता दें कि भोपाल जिले में कुल 7 विधानसभा सीटें हैं। वहीं इनमें भी भोपाल उत्तर एक ऐसी सीट है जिस पर मुस्लिम आबादी ज्यादा है। वहीं 2 लाख 34 हजार मतदाताओं वाले विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी बताए जाते हैं। साथ ही 1993 के अपवाद को छोड़ दिया जाए तो पिछले 30 साल से इस सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार की ही जीत होती रही है। याद रहे, 1993 का चुनाव, बाबरी ढांचे के गिरने के बाद हुआ था। यहां बता दें कि भाजपा ने फातिमा को क्यों चुना इससे ज्यादा ये सवाल उठ रहा है कि फातिमा ने भाजपा को क्यों चुना। जिस दिन उन्हें पार्टी ने भोपाल उत्तर से टिकट दिया, उससे महज एक दिन पहले वो कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुईं थी।
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