भोपाल: देश में विधानसभा चुनाव को लेकर अब सियासी समीकरण सामने आने लगे हैं। जानकारी के अनुसार बता दें कि बुधवार को प्रदेश की जनता नई सरकार के लिए अपना फैसला ईवीएम में कैद कर देगी। वहीं बता दें कि प्रदेश में भाजपा 15 साल से सत्ता में है। लेकिन इस बार मुकाबला कड़ा नजर आ रहा है। खासतौर पर जिस एक सीट पर पूरे प्रदेश की नजर रहेगी, वो है बुधनी। यहां से सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान चुनावी मैदान में उतरे हैं। वहीं इस बार उनकी राह उतनी आसान नहीं दिख रही है, क्योंकि कांग्रेस ने प्रदेश के बड़े किसान नेताओं में शुमार रहे सुभाष यादव के बेटे अरुण यादव को मैदान में उतारा है। वहीं बता दें कि अरुण यादव कमलनाथ से पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके हैं। ऐसे में बैटल ऑफ बुधनी के दिलचस्प होने की पूरी उम्मीद है।
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यहां हम आपको बता दें कि बुधनी का जैत शिवराज सिंह का पुश्तैनी गांव है। इस सीट से 6 बार जीत भाजपा के खाते में आई है तो पांच बार कांग्रेस को कामयाबी मिली है। वहीं बता दें कि शिवराज सिंह पहली बार 1990 में यहां से लड़े थे। इसके साथ ही 2006 में पार्टी ने यहां दिग्विजय सरकार में मंत्री रहे स्थानीय नेता राजकुमार पटेल को शिवराज के खिलाफ मैदान में खड़ा किया था, लेकिन चौहान ने उन्हें 36 हजार से ज्यादा वोटों से हरा दिया।
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यहां बता दें कि 2008 में बुधनी से एक बार फिर स्थानीय नेता महेश राजपूत को खड़ा किया गया, लेकिन महेश राजपूत को भी इस सीट से 41 हजार वोटों से हार का मुंह देखना पड़ा। 2013 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने महेंद्र सिंह चौहान को मैदान में उतारकर जातिगत कार्ड खेला है, लेकिन इस बार भी शिव का ही राज हुआ और जीत का अंतर 80 हजार के पार पहुंचा। लेकिन इस बार मुकाबला नर्मदा से घिरे निमाड़ के बेटे अरुण यादव और नर्मदा किनारे पैदा हुए शिवराज सिंह का है। ऐसे में नर्मदा किनारे से शुरू हुई ये लड़ाई प्रदेश की सियासत को नए मुकाम पर ले जाएगी।
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