नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में भाजपा नेता और राज्य के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की बहुमत परिक्षण कराए जाने संबंधी याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई. हालांकि बुधवार को भी शीर्ष अदालत में इस मामले को लेकर कोई फैसला नहीं लिया जा सका और सुनवाई गुरुवार के लिए स्थगित कर दी गई. इससे पहले सुनवाई के दौरान दोनों ही पक्षों के ओर से कई तरह की दलीलें दी गईं.
एक ओर कांग्रेस का कहना है कि MLA आज़ाद नहीं हैं, ऐसे में फ्लोर टेस्ट कराना उचित नहीं है. जबकि बागी विधायकों के वकील मनिंदर सिंह ने दावा किया कि 22 विधायकों ने स्वेच्छा से इस्तीफा दिया है और उन्होंने बकायदा हलफनामा दायर किया है. उन्होंने कहा कि वह अदालत में सीडी जमा करने के लिए भी तैयार हैं. मनिंदर सिंह ने कहा कि MLA भोपाल आकर कांग्रेस से नहीं मिलना चाहते हैं, ऐसे में उन्हें इसके लिए बाध्य नहीं किया जा सकता.
बागी विधायकों के वकील ने कहा कि इस्तीफा देना विधायकों का संवैधानिक अधिकार है और उस पर निर्णय लेना स्पीकर का कर्तव्य, वह इस्तीफों को लटकाकर नहीं रख सकते हैं. इसी बीच भाजपा की तरफ से वकील मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि कांग्रेस पार्टी चाहती है कि MLA भोपाल आएं ताकि उन्हें प्रभावित किया जा सके. उनकी खरीद फरोख्त की जा सके. उन्होंने कहा कि MLA जब कांग्रेस पार्टी से मिलना नहीं चाहते, तो कांग्रेस उनसे क्यों मिलना चाह रही है.
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