भोपाल: मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने बीते सोमवार यानी 16 मार्च 2020 को कमलनाथ को पत्र लिखकर कहा मेरे पत्र के जवाब में आपका पत्र मिला. धन्यवाद मुझे खेद है कि आपके पत्र का भाव और भाषा संसदीय मर्यादाओं के उचित दिखाई नहीं दे रहा है. जंहा मैंने आपको विश्वास मत प्राप्त करने को कहा था, लेकिन आपके द्वारा ऐसा नहीं किया गया और न इस संबंध में सार्थक प्रयास किया गया. सदन की कार्यवाही 26 मार्च 2020 तक स्थगित की जा चुकी है. पत्र में राज्यपाल ने आगे लिखा है, यह खेद की बात है कि आपने मेरे द्वारा दी गई समयावधि में बहुमत सिद्ध करने की जगह, पत्र लिखकर विधानसभा में शक्ति परीक्षण कराने में असमर्थता व्यक्त की/आनाकानी की, जिसका कोई औचित्य और आधार नहीं है. आपने अपने पत्र में शक्ति परीक्षण नहीं कराने के जो कारण लिए हैं, वे आधारहीन तथा अर्थहीन हैं.
जानकारी के लिए हम बता दें कि राज्यपाल ने कहा, आपने पत्र में सर्वोच्च न्यायालय के जिस निर्णय का जिक्र किया है वह वर्तमान परिस्थितियों और तथ्यों में लागू नहीं होता. जब यह प्रश्न उठे कि किसी सरकार को सदन का विश्वास है या नहीं, तब सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कई निर्णयों में निर्विवाद रूप से स्थापित किया गया है कि इस प्रश्न का उत्तर सदन में शक्ति परीक्षण के से ही हो सकता है. वहीं इस बात का पता चला है कि राज्यपाल ने अंत में लिखा है, आपसे पुन: निवेदन है कि सांविधानिक एवं लोकतंत्रीय मान्यताओं का सम्मान करते हुए 17 मार्च तक बहुमत सिद्ध करें, अन्यथा माना जाएगा कि वास्तव में आपको विधानसभा में बहुमत नहीं मिले.
अब राज्यपाल के पास दो विकल्प: सूत्रों का कहना है कि सांविधानिक जानकारों के मुताबिक विश्वास मत हासिल करने की तय तारीख के उल्लंघन के बाद राज्यपाल के पास सांविधानिक तौर पर दो विकल्प हैं.
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