ग्वालियर: मध्यप्रदेश के ग्वालियर में एक मंदिर ऐसा भी है, जहां जन्माष्टमी पर भगवान राधा-कृष्ण को हीरे-जवाहरात जड़े सोने के गहने पहनाए जाते हैं. ये सिंधिया राजघराने के सैकड़ों साल पुराने कीमती गहने हैं. इन आभूषणों में मोतियों के स्थान पर हीरे, पन्ना, माणिक, पुखराज, नीलम लगे हुए हैं. आज के समय में इनकी कीमत 100 करोड़ रुपए (एक अरब) के आसपास बताई जाती है. इनमें सोने का मुकुट, हीरे का हार, पन्ना जड़ित गहने हैं. इनकी सुरक्षा भी किसी किले की सुरक्षा की तरह की जाती है. इन बेशकीमती जेवरातों को बैंक लॉकर से मंदिर लाने और अगले दिन पूरी गणना कर बैंक तक वापस पहुंचाने के दौरान लगभग 100 जवान तैनात रहते हैं. सिंधिया रियासत ने फूलबाग में गोपाल मंदिर का निर्माण कराया था. 1921 में सिंधिया रियासत के तत्कालीन महाराज माधौराव ने इस मंदिर की मरम्मत करवाई. भगवान राधा कृष्ण के लिए सिंधिया राजाओं ने गहने बनवाए थे.
श्री कृष्ण के आभूषण:-
भगवान श्री कृष्ण को सोने का मुकुट पहनाया जाता है, जिसमें (पंख) पुखराज, माणिक जड़ाऊ व बीच में पन्ना लगा हुआ है. मुकुट के पीछे कलंगी में बेशकीमत मोती, नग लगे हैं. दोनों कानों में पन्ना लगे झुमके हैं. सोने के कड़े को पतले सोने के तारों से बांधा जाता है. सोने के तारों में पिरोया हुआ 7 लड़ी का हार, जिसमें 62 मोती, 55 पन्ना और हीरा लगे हैं. सोने की छड़ी जिसमें एक नग जड़ा हुआ है और बांसुरी पन्ना जड़ी हुई होती है.
राधा रानी के गहने:-
राधा रानी का मुकुट 23 कैरेट सोने का बना हुआ है. इसमें बेशकीमती नग जड़ा है. दो नग झुमके हीरे लगे हुए हैं. सोने की नथ, 249 सफेद मोतियों से जड़ित पांच लड़ी का हार. दो नग सोने के कड़े, पन्ना और हीरे जड़ित एक कंठी, चार सोने की चूडियां, जिन पर आकर्षक नग जड़े हुए हैं. 4 सोने के नक्काशीदार तोड़े. बता दें कि प्राचीन गोपाल मंदिर में जन्माष्टमी के अवसर पर हजारों भक्त दर्शन करने आते हैं, लेकिन प्रतिमा के पास तक किसी को नहीं जाने दिया जाता है. ऑनलाइन दर्शन के लिए नगर निगम की तरफ से LED स्क्रीन लगाकर दर्शन कराया जाता है.
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