इंदौर: 'जहां चाह है, वहां राह है'...इस कहावत को मध्य प्रदेश के खरगोन में रहने वाले सेवानिवृत्त मैकनिकल इंजीनियर और माइक्रो आर्टिस्ट अशोक गर्ग ने चरितार्थ करते दिखा दिया। उन्होंने 7 एमएम की विघ्नहर्त मंगलमूर्ति गणेश की प्रतिमा बनाई है, जो लोगों में कौतूहल का विषय बन गई है। यह मूर्ति कालका मंदिर में रखी हुई है। बप्पा की मूर्ति को देखने के लिए मेग्निफाइन ग्लास का इस्तेमाल करना पड़ता है। इसके लिए इसका नाम 'लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स' में दर्ज किया गया है।
विवेकानंद कॉलोनी में रहने वाले इंजीनियर गर्ग अपने बारे में बताते हुए कहते हैं कि उन्हें माइक्रो आर्ट के प्रति दिलचस्पी इंदौर में इंजीनियर की पढ़ाई के दौरान उस वक़्त जागी जब उन्होंने चावल के एक छोटे से दाने पर रामायण की चौपाई लिखी हुई देखी। धीरे-धीरे उन्होंने इस कला को सीखना आरंभ कर दिया। पहले तो उन्हें लगा कि यह काम बहुत कठिन होगा, किन्तु उन्होंने प्रयास नहीं छोड़ा।
सबसे पहले गर्ग ने चावल के दानों में रामायण की चौपाई लिखी। इसमें जब वे कामयाब हो गए तो उन्होंने और भी चीजों पर माइक्रो आर्ट बनाना शुरू किया। इसी दौरान वे सरकारी नौकरी करने लगे। अब समस्या वक़्त की थी इसलिए वे ड्यूटी ख़त्म करने के बाद रात में अपने इस शौक को पूरा करने में लग जाते थे। वे बताते हैं कि रात का वक़्त सबसे मुफीद होता था, क्योंकि इस कला के लिए सबसे पहले शांत वातावरण का होना आवश्यक होता है।
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