मध्य प्रदेश:- देश का ह्रदय कहे जाने वाले मध्य प्रदेश की स्थापना आज ही के दिन 1956 में हुई थी। मध्य प्रांत, पुराना मध्य प्रदेश, विंध्य प्रदेश और भोपाल को जोड़कर इस राज्य का पुनर्गठन किया गया था, पुनर्गठन के पहले इसे मध्य भारत के नाम से भी जाना जाता था।
छत्तीसगढ़ :- 1 नवंबर 2000 में छत्तीसगढ़ के रुप में स्थापना की गई थी। "छत्तीसगढ़" एक प्राचीन नाम नहीं है, इस नाम का प्रचलन 18 सदी के दौरान मराठा काल के दौरान शुरू हुआ। उस समय इसमें 36 गढ़ समाहित थे और यहाँ के लोग छत्तीसगढ़ी और गोंड भाषा बोलते थे। जिसके चलते छत्तीसगढ़ को अलग राज्य बनाने की मांग शुरू से उठती थी और 1 नवंबर 2000 को इसे मंजूर कर लिया गया।
पंजाब और हरियाणा :- ऐतिहासिक रूप से भारतीय उपमहाद्वीप का प्रवेश-द्वार रहे पंजाब स्वतंत्रता के बाद बड़े राज्य के रुप में संगठित था, राज्यों के पुनर्गठन पर फैसला हो रहा था, उस समय पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश का कुछ हिस्सा (वर्तमान में) और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ इसमें शामिल थे। 'पंजाब पुनर्गठन विधेयक, 1966' के मुताबिक, 1 नवंबर, 1966 को 'हरियाणा' राज्य के रूप में एक नया राज्य अस्तित्व में आया। अब पंजाबी भाषी सिक्ख पंजाब और हिंदी भाषी हिंदू हरियाणा का हिस्सा बन गए, वहीं जहां पहाड़ी बोली जाती थी, उस हिस्से को हिमाचल प्रदेश में शामिल कर दिया गया। जब चंडीगढ़ पर पंजाब और हरियाणा दोनों अपना-अपना दावा करने लगे तो केंद्र सरकार ने उसे केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया।
कर्नाटक:- देश की आज़ादी के बाद जब 1953 में आंध्र प्रदेश बना तो मद्रास के कई जिले मैसूर में मिला दिए गए। इससे लोगों में हिंसा भड़क उठी और उनका आन्दोलन ने विद्रोह का रूप ले लिया। आखिरकार, सरकार ने भाषायी आधार पर 1 नवंबर 1956 को स्टेट ऑफ़ मैसूर को मंजूरी दी और इसमें सभी कन्नड़ भाषी क्षेत्रों को एक ही राज्य में शामिल कर दिया गया। वर्ष 1973 में इसका नाम स्टेट ऑफ़ मैसूर से बदल कर कर्नाटक रख दिया गया।
केरल:- आज़ादी के वक़्त केरल में दो प्रांतीय राज्य थे –त्रावण कोर राज्य और कोची साम्राज्य। 1949 में थिरु-कोच्ची नामक राज्य के निर्माण के लिए इन्हें आपस में विलय कर दिया गया. स्वाधीनता के बाद राज्य पुनर्गठन एक्ट, 1956 के तहत मौजूदा केरल राज्य का निर्माण मद्रास राज्य के मालाबार जिले, थिरु-कोच्ची राज्य और कासरगोड तालुका और दक्षिण कनारा को जोड़कर किया गया है। अपनी लोक संस्कृति, पारंपरिक जीवन और समृद्ध संस्कृति और विरासत के साथ जीवनव्यापन करने वाले यहाँ के निवासी आज 1 नवम्बर के दिन केरालाप्पिरवी (केरल का जन्मदिन) मनाते है।
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