भोपाल: कोरोना संकट की घड़ी में मानवता पर मुश्किल समय आ गया है, किन्तु इंसानियत की मिसालों से एक हौसला बंधता है, एक उम्मीद बंधती है कि यह समय भी बीत जाएगा और मानवता की जीत होगी। कोरोना वायरस के कहर से जूझ रहे मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले में मानवता की ऐसी ही मिसाल देखने को मिली है। यहां दो अलग-अलग संप्रदायों के श्रमिक मित्रों के बीच कुछ ऐसा हुआ जिसे जानकर मन दुखी तो होगा, किन्तु फिर खुशी भी होगी।
कोरोना संदिग्ध 24 वर्षीय अमृत एक ट्रक द्वारा गुजरात के सूरत से यूपी के बस्ती जिला स्थित अपने घर लौट रहा था। उस ट्रक में कई अन्य लोग सवार थे। ट्रक जब मध्य प्रदेश के शिवपुरी-झांसी फोरलेन से निकल रहा था, तभी अचानक अमृत की तबीयत बिगड़ने लगी। साथियों को लगा कि अमृत को कोरोना संक्रमण है, इसलिए डर के मारे अन्य लोगों ने उसे वहीं उतार दिया। दर्द से तड़पते अमृत का क्या होगा, किसी ने नहीं सोचा, सिवाय याकूब मोहम्मद के।
जब ट्रकवाले ने अमृत को ट्रक से उतारा, तो याकूब ने अपने दोस्त का साथ नहीं छोड़ा और खुद भी ट्रक से उतर गया। अमृत बेहोशी की हालत में था। दोस्त को ऐसी हालत में देखते हुए याकूब ने कोरोना के डर के बाद भी अमृत का हाथ थामे रखा और उसका सिर अपनी गोद में रख लिया। लोगों ने उसे देखा तो उसकी सहायता की। लोगों की सहायता से अमृत को लेकर याकूब, अमृत को लेकर जिला अस्पताल तक पहुंचा। अमृत की नाजुक हालत को देखते हुए डॉक्टरों ने उसे फ़ौरन वेंटीलेटर पर रखा, लेकिन उपचार के दौरान अमृत ने दम तोड़ दिया।
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