मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार के एलान के बावजूद मंगलवार को ज्यादातर शराब की दुकानें नहीं खुली. इससे सरकार की चिंता और बढ़ गई है. ठेकेदारों ने 25 फीसद लाइसेंस फीस बढ़ाने का विरोध जताते हुए अपनी दुकानें बंद रखीं और 30 ठेकेदारों ने उच्च न्यायालय में याचिका भी दायर कर दी है. कोर्ट ने सरकार को दो सप्ताह में जवाब देने के निर्देश दे दिए हैं.
वहीं, इस सिलसिले में सरकार एक मई को ही कैविएट दायर कर चुकी है. मार्च और अप्रैल में शराब की दुकान न खुलने से सरकार को 1800 करोड़ रुपये राजस्व की क्षति हुई है. मंगलवार को मध्य प्रदेश के ज्यादातर ठेकेदारों ने दुकानें बंद रखीं. उनका तर्क था कि नए ठेकों में लाइसेंस फीस 25 फीसद बढ़ाकर ली गई है, जबकि दो माह तक दुकानें बंद होने से कारोबार में भारी नुकसान हुआ है. ऐसे में सरकार की शर्त का पालन कैसे होगा.
बता दें की ठेकेदारों की प्रमुख आपत्ति यह है कि सरकार ने सुबह सात से शाम सात बजे तक दुकानें खोलने की अनुमति दी है, जबकि अनुबंध की शर्तों में सुबह साढ़े नौ बजे से रात्रि साढ़े 11 बजे तक दुकानें खोलने का जिक्र है. ठेकेदारों का ये भी कहना है कि सुबह सात बजे से शाम सात बजे तक ही दुकान खोलने से भारी नुकसान होगा. उच्च न्यायालय में दायर याचिका में भी इन तर्कों को शामिल किया गया है. अप्रैल में 1029 करोड़ की क्षति मार्च में कोविड-19 के संक्रमण के वज से शराब दुकानें बंद रहने एवं आबकारी ठेके 31 मार्च 2020 में पूर्ण न होने कारण राजस्व में भारी कमी आई.
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