भोपाल। मध्यप्रदेश में 28 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने हैं। बीजेपी, कांग्रेस सहित बसपा, सपा, आप, एनसीपी आदि पार्टियां चुनावी मैदान में हैं। यह सभी पार्टियां अपने—अपने स्तर पर चुनाव प्रचार कर रही हैं। अगर बात की जाए बीजेपी और कांग्रेस की, तो बीजेपी जहां 15 साल की अपनी कुर्सी को बरकरार रखना चाहती है, वहीं कांग्रेस 15 साल के वनवास को खत्म करने की फिराक में हैं। अगर हम 2013 के विधानसभा चुनाव पर नजर डालें, तो पाएंगे कि 2008 के मुकाबले 2013 में बीजेपी का वोट प्रतिशत 7 फीसदी से ज्यादा बढ़ा था।
बीजेपी को हुआ फायदा: 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मध्यप्रदेश में भी मोदी लहर का फायदा मिला था। 2008 में जहां बीजेपी को मात्र 143 सीटें मिली थीं, वहीं 2013 में यह सीटें बढ़कर 165 हो गई थीं। वहीं कांग्रेस को 2013 में मात्र 58 सीट मिली थीं।
यह रहा वोट प्रतिशत: 2013 के चुनावों में वोट प्रतिशत काफी अच्छा रहा था। 2008 के मुकाबले भाजपा का वोट प्रतिशत 7 फीसदी से ज्यादा बढ़ा था, वहीं कांग्रेस के वोट प्रतिशत में भी 4 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई थी।
प्रमुख उम्मीदवार: 2013 के चुनावों में मध्यप्रदेश के 51 जिलों की 230 विधानसभा सीटों से कुल 2586 उम्मीदवार मैदान में थे। इनमें भाजपा के प्रमुख उम्मीदवारों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (बुदनी और विदिशा), बाबूलाल गौर (भोपाल के गोविंदपुरा ), कैलाश विजयवर्गीय (महू ) और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के भतीजे अनूप मिश्रा (भितरवार ) सीट से मैदान में थे। वहीं कांग्रेस के प्रमुख उम्मीदवारों में पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरेश पचोरी (भोजपुर), विधानसभा में विपक्ष के नेता अजय सिंह (चुरहट), दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह (राघोगढ़), पूर्व उपमुख्यमंत्री सुभाष यादव के बेटे सचिन यादव (कासरवाड) शामिल हैं।
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