कोच्ची: केरल उच्च न्यायालय ने कथित जिहाद, धर्मान्तरण और आतंकवाद पर आधारित फिल्म 'द केरला स्टोरी' (The Kerala Story) की रिलीज पर रोक लगाने से साफ़ इनकार कर दिया है। यही नहीं अदालत ने यह भी कहा है कि फिल्म के ट्रेलर में किसी विशेष समुदाय के खिलाफ कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है। हालांकि, फिल्म निर्माता ने अदालत को आश्वासन दिया है कि 'केरल की 32,000 से ज्यादा महिलाओं के आतंकी संगठन ISIS में भर्ती होने का दावा' करने वाले विवादास्पद टीजर सोशल मीडिया से हटा दिया जाएगा।
बता दें कि, द केरला स्टोरी फिल्म आज यानी शुक्रवार को पूरे देश के सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। फिल्म में उन लड़कियों की कहानी दिखाई गई है, जो नर्स बनना चाहती थीं। मगर, जिहाद और धर्मांतरण के चक्रव्यूह में फंसकर ISIS की आतंकी बन गई। इस फिल्म को लेकर विवाद भी खूब हो रहा है। कुछ लोग फिल्म को प्रतिबन्धित करने की मांग भी उठा रहे हैं। इसके लिए पूर्व कांग्रेस नेता और दिग्गज वकील कपिल सिब्बल ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका भी दाखिल की थी। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने उसे ख़ारिज कर दिया था और याचिकाकर्ताओं से उच्च न्यायालय जाने के लिए कहा था।
इसके बाद केरल हाई कोर्ट में 5 याचिकाएं दायर हुईं थीं. एक याचिका इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) द्वारा भी फाइल की गई थी. याचिका में कहा गया था कि, 'द केरल स्टोरी' के ट्रेलर में ब्रेन वॉश, लव जिहाद, हिजाब और ISIS जैसे शब्दों का उपयोग किया गया है, ये फिल्म मुस्लिमों के खिलाफ है. याचिका में 'द केरल स्टोरी' की रिलीज़ पर रोक लगाने की मांग की गई थी. उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को इस पर सुनवाई की. अदालत ने ओपन कोर्ट में फिल्म का टीजर और ट्रेलर दोनों देखे और कहा कि, इसमें समुदाय विशेष के लिए कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है. अदालत ने कहा कि, CBFC जैसे प्राधिकरण ने फिल्म की जांच की है और इसे रिलीज के लिए उचित पाया है. अदालत ने कहा कि, ये फिल्म मुसलमानों या इस्लाम के खिलाफ नहीं, बल्कि ISIS के खिलाफ है। कोर्ट ने यह भी कहा कि, कई फिल्मों में हिन्दू सन्यासियों को गैंगस्टर-स्मगलर जैसे किरदारों में दिखाया गया है, लेकिन कोई समस्या नहीं हुई।
32000 लड़कियों के आंकड़े पर क्या बोले फिल्म निर्माता:-
बता दें कि, फिल्म मेकर्स ने 'केरल की 32,000 से ज्यादा महिलाओं के आतंकी संगठन ISIS में भर्ती होने का दावा' करने वाले विवादास्पद टीजर सोशल मीडिया से हटा दिया है, लेकिन उनका कहना है कि, इस तरह से शिकार बनी लड़कियों की संख्या 50000 से भी अधिक है। अब चूँकि कोर्ट में इसे साबित करना पड़ता, इसलिए उन्होंने वो तथ्य हटाना ही उचित समझा। लेकिन, फिल्म निर्माता विपुल अमृतलाल शाह ने अलग से इसका जवाब दिया है, उन्होंने कहा है कि हिंदू हेल्पलाइन करके एक संस्थान है। उन्होंने बयान जारी किया है कि, सिर्फ 10 वर्ष में 14000 केस उनके पास आ चुके है। उन्होंने 8500 लड़कियों को समझाकर जाने से रोका है, 5500 लड़कियों को नहीं रोक सके। ये उनका दावा है। एक और संस्था का जिक्र कर विपुल शाह ने कहा है कि उस संस्था ने 6000 लड़कियों को 10 वर्ष में रेस्क्यू किया है। कोर्ट की पाबंदी की वजह से हम अधिक नहीं बता सकते।
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