नई दिल्ली: योग गुरु स्वामी रामदेव से संबंधित कंपनी पतंजलि को मद्रास उच्च न्यायालय से बड़ा झटका लगा है. अदालत ने पतंजलि की दवा कोरोनिल के ट्रेडमार्क पर रोक लगा दी है. पतंजलि का दावा है कि कोरोनिल कोरोना वायरस की दवा है. इस दवा को कुछ दिन पहले ही लॉन्च किया गया था.
मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सी वी कार्तिकेयन ने चेन्नई की कंपनी अरुद्रा इंजीनियरिंग लिमिटेड की याचिका पर 30 जुलाई तक के लिए यह अंतरिम आदेश जारी किया. अरुद्रा इंजीनियरिंग लिमिटेड की दलील है कि ‘कोरोनिल' 1993 से उसका ट्रेडमार्क है. लिहाजा कोई भी दूसरी कंपनी इस नाम से उत्पाद नहीं बना सकती. अरुद्रा इंजीनियरिंग लिमिटेड केमिकल्स और सैनिटाइजर्स बनाने का काम करती है, जिसका उपयोग हेवी मशीनरी और कंटेनमेंट यूनिट्स में किया जाता है. कंपनी के अनुसार, उसने 1993 में कोरोनिल-213 एसपीएल और कोरोनिल-92बी का पंजीकरण कराया था. कंपनी का दावा है कि वह निरंतर अंतराल में इस ट्रेडमार्क को रिन्यू कराती रही है.
कंपनी ने एक बयान में कहा है कई, ‘अभी भी इस ट्रेडमार्क पर 2027 तक हमारा अधिकार वैध है.' कंपनी ने इस ट्रेडमार्क को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बताया है. इस कंपनी ने यह भी कहा है कि भेल और इंडियल ऑयल जैसी दिग्गज कंपनिया उसके क्लाइंट्स में शामिल हैं. अपने दावे को सही साबित करने के लिए याचिकाकर्ता ने अदालत में पांच वर्ष का बिल भी पेश किया है. PTI की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ने अदालत में कहा कि पतंजलि की तरफ से बेची जाने वाली दवा का मार्क बिल्कुल उसकी कंपनी की तरह है. बेचे जाने वाले प्रोडक्ट भले ही अलग हों किन्तु ट्रेडमार्क एक जैसा है.
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