कौरवों के पास शांति प्रस्ताव लेकर पहुंचे भगवान श्रीकृष्ण

कौरवों के पास शांति प्रस्ताव लेकर पहुंचे भगवान श्रीकृष्ण
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टीवी के जाने माने सीरियल महाभारत (Mahabharat)की अब तक की कहानी में आपने देखा है कि युद्ध का आभास होते ही दुर्योधन श्रीकृष्ण से उनकी नारायणी सेना मांग लेता है। वहीं श्रीकृष्ण अर्जुन का सारथी बनने के लिए हामी भर देते हैं। वहीं आज शाम के एपिसोड में दिखाया गया कि, लड़ाई को टालने के लिए श्रीकृष्ण शांति दूत बनकर हस्तिनापुर जाने के लिए तैयार हो जाते हैं। इसके साथ ही श्रीकृष्ण की ये बात सुनकर द्रौपदी गुस्सा हो जाती है और श्रीकृष्ण को अपना अपमान याद दिलाती है। द्रौपदी को समझाते हुए श्रीकृष्ण कहते हैं कि इस समय युद्ध को टालने में ही भलाई है। अभी अपमान का बदला लेने का समय नहीं आया है। वहीं दूसरी तरफ श्रीकृष्ण के आने की खबर हस्तिनापुर पहुंच जाती है। विधुर सबसे पहले ये खबर भीष्म पितामह को बताते हैं। श्रीकृष्ण के आने की बात सुनकर भीष्म पितामह खुशी जताते हुए कहते हैं कि श्रीकृष्ण लड़ाई को रोकने के लिए ही यहां आ रहे हैं।

ऐसे में अगर हम लोगों ने श्रीकृष्ण की बात नहीं मानी तो युद्ध होने से कोई नहीं रोक सकेगा।वहीं  जिसके बाद भीष्म पितामह और विधुर धृतराष्ट्र से मिलने जा पहुंचते हैं। श्रीकृष्ण की आने की खबर सुनकर धृतराष्ट्र परेशान हो जाते हैं, वहीं दुर्योधन अपनी नाराजगी जाहिर करता है। दुर्योधन के तेवर देखकर भीष्म पितामह धृतराष्ट्र और दुर्योधन से श्रीकृष्ण का सम्मान करने की बात करते हैं और चेतावनी देते हैं कि वह कोई आम दूत नहीं है। धृतराष्ट्र श्रीकृष्ण को एक के बढ़ कर एक तोहफे देने की बात करते हैं। ऐसे में धृतराष्ट्र को भीष्म पितामह और विधुर दोनों ही शांत कहने के लिए बोल देते हैं। जिसके बाद भीष्म पितामह श्रीकृष्ण को लेकर हस्तिनापुर के महल में आते हैं। यहां पर सभी कौरव और धृतराष्ट्र कृष्ण का सम्मान करते हैं और आदर सत्कार करते हैं। 

आपकी जानकारी के लिए बता दें की श्रीकृष्ण के आते ही दुर्योधन उनको अपने साथ खाना खाने के लिए कहता है।इसके साथ ही श्रीकृष्ण दुर्योधन को मना करके कुंती से मिलने चले जाते हैं। श्रीकृष्ण को अपने सामने देखकर कुंती के आंसू छलक आते हैं। बातों ही बातों में वह श्रीकृष्ण से पांडवों के पास जाने से मना कर देती है और होने वाले युद्ध के बारे में सवाल करती है। श्रीकृष्ण कहते हैं कि युद्ध का फैसला तो केवल दुर्योधन के हाथ में है।जिसके बाद दुर्योधन श्रीकृष्ण से दोस्ती बढ़ाने की कोशिश करता है परन्तु श्रीकृष्ण उसे अपनी मर्यादा के बारे में बता देते हैं। शकुनी यहां पर बात संभालने की कोशिश करता है। श्रीकृष्ण दुर्योधन को युद्ध न करने की चेतावनी देते हैं परन्तु वो श्रीकृष्ण की बात को अनसुना कर देता है। ऐसे में श्रीकृष्ण विधुर के घर खाना खाने चले जाते हैं।

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