टीवी का जाना माना सीरियल महाभारत (Mahabharat)की अब तक की कहानी में आपने देखा है कि अर्जुन को परेशान देखकर उनके सारथी बने श्रीकृष्ण रणभूमि में उन्हें गीता का ज्ञान देते हैं। वहीं श्रीकृष्ण की बातें सुनकर अर्जुन अपने मन में उठ रहे सवालों का जवाब भी उनसे ही मांगते हैं। वहीं आज शाम के एपिसोड में आपने देखा कि, अर्जुन श्रीकृष्ण की बात समझकर भी अपनी बात पर अड़े हैं और अपने रिश्तेदारों से युद्ध करने को पाप बताते हैं। वहीं जिसके बाद श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि पाप और पुण्य का फैसला मैं करता हूं, तुम बस अपने कर्म पर ध्यान दो। लोक कल्याण के लिए सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर युद्ध करो।इसके साथ ही शरीर के 9 द्वारों में खुश रहने की कोशिश करो और चंचल मन को संभालने की कोशिश करो|
आपकी जानकारी के लिए बता दें की श्रीकृष्ण के मुंह से ये बात सुनकर धृतराष्ट्र संजय से शरीर के 9 द्वारों का राज पूछता है। ऐसे में संजय धृतराष्ट्र बताता है कि श्रीकृष्ण यहां पर नाक कान आंख और मुंह की बात कर रहे हैं। श्रीकृष्ण की ये बातें सुनकर धृतराष्ट्र काफी हैरान होकर कहता है कि मैंने कभी ऐसा तो सोचा ही नहीं। वहीं दूसरी तरफ श्रीकृष्ण, अर्जुन को परमतत्व का ज्ञान देते हैं और युद्ध को धर्म बताते हैं| ऐसे में अर्जुन श्रीकृष्ण से मन भटकने पर पूछता है कि क्या अच्छा काम करने वालों को स्वर्ग और नर्क में जगह मिलती है। जिसके जवाब में श्रीकृष्ण कहते हैं मुझे याद करने वाले कभी नहीं भटकते। वहीं अच्छे काम करने वाले तो स्वर्ग और नर्क भी अच्छी जगह पाते हैं। मुझ पर यकीन रखो क्योंकि दुनिया का सबसे बड़ा सत्य मैं हूं।
इसके साथ ही ये प्रकृति मैंने पिरोई है। वहीं पानी, सूर्य, चंद्रमा, शब्द, ओमकार, खुशबू, अग्नि, तप, बीज बुद्धि, तेज, बल, धर्म, काल ये सब कुछ मेरा ही रुप है लेकिन फिर भी मैं सबसे अलग हूं। मैं पिता भी हूं मां और स्वामी भी मैं ही हूं। वहीं मौसम, वेद, सृजन और विलोपन सब मेरा ही हिस्सा है और मैं सबका आधार है। मैं आत्मा हूं और विस्तार भी मैं ही हूं। मेरा कोई भी अंत नहीं है। इसके साथ ही श्रीकृष्ण की ये बात सुनकर अर्जुन उनसे कहते हैं कि मैं आपका सच कैसे देख सकता हूं। वहीं जिसके बाद श्रीकृष्ण अर्जुन को अपना विश्व रुप अवतार दिखाते हैं। वहीं श्रीकृष्ण का सच जानने के बाद अर्जुन युद्ध के लिए तैयार हो जाता है। तो वहीं, श्रीकृष्ण का विशाल रुप देखकर धृतराष्ट्र दुखी हो जाता है क्योंकि श्रीकृष्ण का रुप देखने के बाद वो ये समझ जाते है कि उसके बेटों को मरने से अब कोई नहीं रोक सकता। वहीं, दूसरी तरफ दुर्योधन युद्ध न शुरु होने पर परेशान हो जाता है।
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