महाभारत के कई ऐसे किस्से हैं जिनके बारे में कोई नहीं जानता. ऐसे में महाभारत में विश्व के महान योद्धाओं ने भाग लिया था लेकिन इस युद्ध में 2 महान योद्धा भी थे, जिन्हें पराजित करना किसी के लिए भी संभव नहीं था. जी हाँ, वहीं धर्म की रक्षा के लिए इन्हें रास्ते से हटाना आवश्यक हो गया था और यहीं कारण था कि उन्हें पराजित करने के लिए छल का सहारा लेना पड़ा. जी हाँ, कहा जाता है पहले महाशक्तिशाली योद्धा का नाम भीष्म पितामह था, जो युद्ध में कौरवों के सेनापति थे.
ब्रह्मचर्य की प्रतिज्ञा के कारण वे इतने बलशाली हो चुके थे कि उन्हें पराजित करना दुनिया में किसी के लिए असंभव था| एक बार भीष्म ने परशुराम को भी युद्ध में पराजित कर दिया था. भीष्म पितामह को रास्ते से हटाने के लिए स्वयं श्री कृष्ण को भी अपना वचन तोड़कर युद्ध में सुदर्शन चक्र धारण करना पड़ा था. वहीं दुसरे पराक्रमी योद्धा कौरवों और पांडवों के कुलगुरु द्रोणाचार्य थे.
कहा जाता है जब पांडवों की सेना युद्ध में कमजोर पड़ने लगी, तब कृष्ण ने युक्ति से द्रोणाचार्य तक आधा ही समाचार पहुँचाया कि अश्वत्थामा नामक हाथी युद्ध में मारा गया, लेकिन शंखनाद होने के कारण द्रोणाचार्य को हाथी का उच्चारण सुनाई नहीं दिया और उन्हें लगा कि उनका पुत्र अश्वत्थामा युद्ध में मारा गया है. समाचार मिलते ही द्रोणाचार्य हताश हो गये और अपने अस्त्रों को त्याग कर विलाप करने लगे. मौका मिलते ही दृश्यद्युम्न ने उनकी हत्या कर दी.
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