महाभियोग का असर उड़ीसा कांग्रेस पर

महाभियोग का असर उड़ीसा कांग्रेस पर
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भुवनेश्वर : अंदरूनी कलह और गुटबाजी कांग्रेस पार्टी की पुरानी बीमारी है जिसके कारण कांग्रेस महाभियोग को लेकर भी पार्टी दो धड़ो में बात गई है, जिसका प्रभाव अब ओडिशा में देखा जा रहा है. सूबे में अगले साल चुनाव होने हैं और दीपक मिश्रा के उड़िया मूल का होने की वजह से महाभियोग यहाँ प्रभावी हो सकता है. कांग्रेस के कई राज्य स्तरीय नेताओं ने बताया कि उसका यह कदम सूबे में पार्टी को अलग-थलग करने की स्थिति में ले आया है क्योंकि ओडिशा के लोग जस्टिस मिश्रा के चीफ जस्टिस बनने को प्रेरक मानते हैं.

कांग्रेस के एक लीडर ने बताया, 'कोई भी उड़िया यह नहीं देखना चाहेगा कि ओडिशा का कोई राजनीतिक दल यहां के किसी मूल निवासी के खिलाफ जाए.' हालांकि कांग्रेस के सीनियर लीडर और पूर्व कानून मंत्री नरसिंह मिश्रा ने कहा, 'इस कदम को राजनीतिक तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए. यदि चीफ जस्टिस के खिलाफ डॉक्युमेंट्स हैं तो उसका कोई सिर्फ इस आधार पर विरोध नहीं कर सकता कि वे ओडिशा के हैं.' इस बीच सूबे में कांग्रेस को पछाड़कर बीजेडी (बीजू जनता दल) के मुकाबले मुख्य विपक्ष दल बनी बीजेपी ने महाभियोग के प्रस्ताव को 'ऐंटी-ओडिशा' करार दिया है.

केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने उड़िया में लिखे कई ट्वीट्स में कहा, 'हमेशा से ओडिशा विरोधी रहने वाली कांग्रेस अब राज्य के सफल व्यक्ति जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव ले आई है. केंद्र में अपनी सत्ता के दौरान कांग्रेस ने कभी ओडिशा के साथ न्याय नहीं किया. यह कदम कांग्रेस की ओडिशा विरोधी सोच को दर्शाता है.' 

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