उज्जैन/ब्यूरो। उज्जैन में बैकुंठ चतुर्दशी की मध्य रात्रि को राजाधिराज बाबा महाकाल (हर) गोपाल जी (हरि )से मिलने पहुंचें, जहाँ योग निंद्रा से जागने पर भगवान हरि को हर ने सष्टि का भार सौपा और पुनः पालकी में सवार होकर अपने धाम पहुंचे। देर रात 11 बजे महाकालेश्वर मंदिर से शाही ठाठ से बाबामहाकाल पालकी मे विराजित होकर गोपाल मंदिर पर पहुचे, वहां श्री हरि का स्वागत बेल पत्र की माला पहनाकर किया, वही गोपाल जी की तरफ से महाकाल का स्वागत तुलसी की माला पहनाकर किया गया।
बाबा महाकाल पालकी में सवार होकर मध्य रात्रि में गोपाल जी से भेंट करने निकले यह नजाराकेवल आज ही बैकुंठ चतुर्दशी की मध्यरात्रि को वर्ष में एक बार देखा जा सकता है। यह प्राचीन परंपरा है
जिसका निर्वाह किया गया। प्राचीन मान्यता के अनुसार देवशयनी ग्यारस पर श्री विष्णु योग निंद्रा के दौरान क्षीरसागर में निवास करते हैं, वही देव उठनी ग्यारस (देव दीपावली)पर देव जाते हैं और आज बैकुंठ चतुर्दशी पर श्री विष्णु,,भगवान विष्णु के योग निंद्रा के काल में मान्यता अनुसार शिव सृष्टि का संचालन करते हैं और विष्णु के जागने के पश्चात आज उन्हें पुनः सृष्टि का भार सौंप कर अपने धाम लोटते हैं, यह नजारा कल उज्जैन में देखा गया,,संभवत पृथ्वी पर इसतरह का रूपांतरण केवल उज्जैन में ही परंपरा अनुसार देखा जा सकता है, जिसे देखने असंख्य श्रद्धालु मध्यरात्रि में गोपाल मंदिर के बाहर मौजूद थे।
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