सम्पूर्ण भारत में भगवन शिव के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंग है जिसमे से एक उज्जैन के महाकाल भी है। महाकाल के दर्शन मात्र से ही बिगड़े काम बन जाते है, जो भी महाकाल के दर्शन करता है और श्रद्धा से महाकाल बाबा के सम्मुख अपना मस्तक झुकाता है उसके सभी बिगड़े काम बन जाते है। और अंतकाल में मोक्ष को प्राप्त होता है। पुराणो में श्री महाकाल के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन किया जाता है। महाभारत में महाकवि कालिदास ने मेघदूत में उज्जैन के बाबा के मंदिर की अतिप्रशंसा की है।
ग्रंथों के अनुसार
आकाशे तारकेलिंगम्, पाताले हाटकेश्वरम्
मृत्युलोके च महाकालम्, त्रयलिंगम् नमोस्तुते।
आसमान में तारक लिंग, पाताल में हाटकेश्वर लिंग और पृथ्वी पर महाकालेश्वर से बढ़कर अन्य कोई ज्योतिर्लिंग नहीं है। भगवान शिव को पृथ्वी का अधिपति भी माना जाता है। भगवान शिव पृथ्वी के राजा हैं।
दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग
दक्षिण दिशा का स्वामी भगवान यमराज है। दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही जीवन स्वर्ग तो बनता ही है मृत्यु के उपरांत भी यमराज के दंड से मुक्ति पाता है।
अनिश्चित मृत्यु टालते हैं महाकाल
कई व्यक्ति बाबा के दर्शन इसलिए भी करते है ताकि वन अपनी अनिश्चित मृत्यु को टाल सके, एवं मोक्ष को प्राप्त हो सके। यहाँ आकर सच्चे मन से मांगी गई दुआ कभी खाली नहीं जाती। यहाँ आने से हर मनोकामना पूर्ण होती हैं। बाबा के दर्शन करने के लिए देश विदेश से भी व्यक्ति आते है। कई विद्वानों का कहना है की महाकाल उज्जैन से ही दुनिया का भरण-पोषण करते हैं।