प्रयागराज: संगमनगरी प्रयागराज में पौष पूर्णिमा के पावन अवसर पर सोमवार (13 जनवरी, 2025) से महाकुंभ का शुभारंभ हो गया है। सुबह से ही संगम नगरी के विभिन्न घाटों पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। भारतीय संस्कृति और सनातन परंपराओं का यह अद्भुत आयोजन देश-विदेश से आए लाखों श्रद्धालुओं के लिए आस्था और आध्यात्मिकता का केंद्र बना हुआ है।
महाकुंभ के इस विराट आयोजन में विदेशी श्रद्धालु भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। भगवा वस्त्र पहने और तिलक लगाए इन श्रद्धालुओं ने इस आयोजन को न केवल अपने लिए आध्यात्मिक अनुभव का स्रोत बताया, बल्कि भारत को विश्व की आध्यात्मिक राजधानी के रूप में भी स्वीकार किया। रूस से आई एक महिला श्रद्धालु ने संगम में स्नान के बाद कहा, "मेरा भारत महान। मैं यूरोप में काम करती हूँ, लेकिन यहाँ आकर जो अनुभव हुआ, उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकती। यह अनुभव मेरी आत्मा को छू गया है।" इसी तरह ब्राजील से आए एक श्रद्धालु ने कहा, "मैं योग करता हूँ और मोक्ष की तलाश में हूँ। भारत वाकई धर्म और आध्यात्मिकता का केंद्र है। यहाँ का ठंडा पानी मेरी आत्मा को गर्मजोशी से भर रहा है। जय श्री राम।"
#WATCH | Prayagraj | A Russian devotee at #MahaKumbh2025, says, "...'Mera Bharat Mahaan'... India is a great country. We are here at Kumbh Mela for the first time. Here we can see the real India - the true power lies in the people of India. I am shaking because of the vibe of the… pic.twitter.com/vyXj4m4BRs
— ANI (@ANI) January 13, 2025
इटली और दक्षिण अफ्रीका से आए श्रद्धालुओं ने भी भारत की आध्यात्मिक परंपराओं और कुंभ की व्यवस्था की प्रशंसा की। भगवा वस्त्र धारण किए दक्षिण अफ्रीका के एक श्रद्धालु ने कहा, "हम सनातन धर्म का प्रचार करते हैं और इसे पढ़ाते हैं। यहाँ का माहौल अद्भुत है, सड़कों की सफाई और लोगों का सहयोग देखकर मैं बेहद प्रभावित हूँ।"
महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि भारत की आध्यात्मिक शक्ति का ऐसा प्रदर्शन है, जो पूरी दुनिया को अपनी ओर आकर्षित करता है। यह विडंबना है कि जिस भारत को विदेशी श्रद्धालु मोक्ष और धर्म की राजधानी मानते हैं, उसी भारत के कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी इसे पाखंड और बकवास बताने में लगे रहते हैं। ये लोग अपने थोथे ज्ञान और अहंकार में इतने डूबे हैं कि उन्हें भारत की इस अद्वितीय परंपरा का महत्व नहीं दिखता। लेकिन सच्चाई यह है कि आज पूरा विश्व भारत की इस सनातन परंपरा को न केवल समझ रहा है, बल्कि इसका सम्मान भी कर रहा है। महाकुंभ में करोड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति और उनकी आस्था इसका प्रमाण है।
#WATCH | Prayagraj | A Brazilian devotee at #MahaKumbh2025, Fransisco says, "I practice Yoga and I am searching for Moksha. It's amazing here, India is the spiritual heart of the world... Water is cold but the heart is filled with warmth." pic.twitter.com/as1oBQXmGl
— ANI (@ANI) January 12, 2025
महाकुंभ 2025 के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने अद्वितीय व्यवस्थाएँ की हैं। श्रद्धालुओं के लिए प्रयागराज तक पहुंचने के लिए 7,000 अतिरिक्त बसें चलाई गई हैं, जिनमें शाही स्नान के दिनों का किराया निःशुल्क है। 40,000 पुलिस और सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है। कुंभ मेले की निगरानी के लिए विशेष कंट्रोल रूम बनाया गया है, जहाँ हर गतिविधि पर बारीकी से नजर रखी जा रही है। इसके अलावा, एक विशेष मोबाइल ऐप भी लॉन्च किया गया है, जो श्रद्धालुओं को मेले की जानकारी और सुविधाएँ प्राप्त करने में मदद करता है।
महाकुंभ 2025 में अभी तक लाखों लोगों ने संगम में डुबकी लगाई है। सुबह 3 बजे से स्नान शुरू हुआ और सुबह 9:30 बजे तक ही 60 लाख से अधिक श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा चुके थे। इनमें बड़ी संख्या में विदेशी श्रद्धालु भी शामिल हैं, जिनकी उपस्थिति इस आयोजन की महत्ता और भारत की आध्यात्मिक शक्ति को वैश्विक स्तर पर दर्शाती है। महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की आत्मा का प्रतिबिंब है। यह आयोजन न केवल हमें अपनी जड़ों की याद दिलाता है, बल्कि यह भी सिद्ध करता है कि भारत की आध्यात्मिक शक्ति का प्रभाव सदियों से अडिग और अनंत है।