हम सभी इस बात से वाकिफ है कि हमारे भारत में हर दिन कोई ना कोई त्यौहार मनाया ही जाता है. ऐसे में हमारे शास्त्रों में भी प्रत्येक भगवान की पूजा की जाती है. दुनिया में लोग सभी भगवानो को अपने भक्ति से प्रसन्न करते है. अब आपको बता दें कि आज से भाद्रपद की शुक्ल अष्टमी शुरू हुई है और आज से श्री महालक्ष्मी व्रत प्रारंभ किया जाएगा. आज मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए उनके भक्त उनकी पूजा अर्चना करते नजर आने वाले हैं. आपको बता दें कि श्री महालक्ष्मी व्रत सोलह दिनों तक चलता है और इस व्रत में धन की देवी मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है.
तो आइए आज बताते हैं कि कैसे करे श्री महालक्ष्मी व्रत की पूजा - सबसे पहले व्रत संकल्प के समय 'करिष्यsहं महालक्ष्मि व्रतमें त्वत्परायणा ।तदविघ्नेन में यातु समप्तिं स्वत्प्रसादत:।।' मंत्र का उच्चारण करें और इसके बाद हाथ की कलाई में डोरा बांध लें और उसमे 16 गांठे लगी होना अनिवार्य है. आपको बता दें कि यह व्रत हर दिन आश्चिन मास की कृ्ष्ण पक्ष की अष्टमी तक किया जाता है और 16वें दिन व्रत पूरा हो जाने पर एक वस्त्र से एक मंडप बनाकर उसमें लक्ष्मी जी की प्रतिमा रख दी जानी चाहिए. इसके बाद पूजन के दौरान नए सूत 16-16 की संख्या में 16 बार रख दें और फिर 'क्षीरोदार्णवसम्भूता लक्ष्मीश्चन्द्र सहोदरा।व्रतोनानेत सन्तुष्टा भवताद्विष्णुबल्लभा।।' मंत्र का उच्चारण करें.
अब आइए बताते हैं व्रत पूजन के सिद्धांत - सबसे पहले श्री लक्ष्मी को पंचामृत से नहलाए और फिर सोलह प्रकार से पूजन करके व्रतधारी व्यक्ति चार ब्राह्मण और 16 ब्राह्मणियों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा देने की कृपा करें. इस प्रकार आपका यह व्रत पूरा होता है और फिर 16वें दिन महालक्ष्मी व्रत का उद्यापन किया जाता है.
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