महाशिवरात्रि पर सबसे असरदार होता है महामृत्युंजय मंत्र, यह है शुभ नियम

महाशिवरात्रि पर सबसे असरदार होता है महामृत्युंजय मंत्र, यह है शुभ नियम
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इस बात को तो सभी जानते हैं कि महाशिवरात्रि पर शिव आराधना का विशेष महत्व बताया गया है ऐसे में शिवजी की आराधना में जितना महत्त्व अभिषेक का है उतना ही महत्व महामृत्युंजय मंत्र का भी माना जाता है. कहते हैं शिव जी की आराधना महामृत्युंजय मंत्र के बिना अधूरी होती है ऐसे में महाशिवरात्रि पर महामृत्युंजय मंत्र के पारायण व पुरश्चरण विशेष लाभ प्राप्त मिल पाता है. तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे कर सकते हैं महामृत्युंजय मंत्र का पुरश्चरण...?

पुरश्चरण के पांच अंग होते हैं-1. जाप 2. हवन 3. तर्पण 4. मार्जन 5. ब्राह्मण भोज कहा जाता है पुरश्चरण में जप संख्या निर्धारित मंत्र की अक्षरों की संख्या पर निर्भर करती है और इसमें "ॐ" और "नम:" को नहीं गिना जाता. वहीं इसमें जप संख्या निश्चित होने के उपरान्त जप का दशांश हवन, हवन का दशांश तर्पण, तर्पण का दशांश मार्जन और मार्जन का दशांश ब्राह्मण भोज कराने से ही पुरश्चरण पूर्ण माना जाता है. कहा जाता है पारायण हेतु निम्न महामृत्युंजय मंत्र का यथाशक्ति जाप करें-"ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम्पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धानात्मृत्योर्मुक्षीयमामृतात् भूर्भुव: स्व: ॐ स: जूं हौं ॐ."

और सर्वत्र रक्षा करने के लिए निम्न महामृत्युंजय मंत्र का यथाशक्ति जाप कर सकते हैं. "ॐ जूं स: (अमुकं) पालय पालय स: जूं ॐ" (यदि यजमान व अन्य किसी की रक्षा के लिए मंत्र जाप करें तो "अमुक" के स्थान पर उस व्यक्ति का नाम लें. यदि स्वयं की रक्षा के लिए मंत्र जाप कर रहे हैं तो "अमुक" के स्थान पर "मम्" कहें.) रोग से मुक्ति के लिए निम्न महामृत्युंजय मंत्र का यथाशक्ति जाप कर दें "ॐ जूं स: (रोग का नाम) नाशय नाशय स: जूं ॐ"

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