दुनिया का हर इंसान अपने जीवन में तरक्की चाहता है. ऐसे में सभी आकस्मिक रूप से आने वाली दुर्घटनाओं से बचे रहना चाहते हैं और अगर आप भी उन्ही में से एक हैं तो उनसे बचने के लिए वैदिक ज्योतिष में कुछ विशेष पूजा विधान बताए गए है जिन्हे आप इस बार आने वाली महाशिवरात्रि पर कर सकते हैं. जी हाँ, जिस पूजा की हम बात कर रहे हैं वह मृत संजीवनी पूजा है और इसे महामृत्युंजय पूजा के नाम से भी जाना जाता है. कहते हैं यह पूजा भगवान शिव और मां गायत्री की सम्मिलित पूजा है और इसे करने से संयुक्त फल उस जातक को मिलता है जो इसे स्वयं के स्वास्थ्य और आयु वृद्धि के लिए करता है. आप सभी को बता दें कि इस साल महाशिवरात्रि 4 मार्च को आ रही है और इस बार 4 मार्च को सोमवार है. ऐसे में आप इस बार यह पूजा कर सकते हैं. आइए जानते हैं कब और क्यों करते हैं यह पूजा.
कब और क्यों की जाती है मृत संजीवनी पूजा - ज्योतिषों के अनुसार यह पूजा किसी जातक के लिए तब भी जाती है जब लाख प्रयत्नों के बाद भी उसके स्वास्थ्य में सुधार नहीं होता है, जो जातक मरणासन्न् स्थिति में होता है, जिस जातक की बार-बार दुर्घटनाएं होती हैं. इसी के साथ यह पूजा स्वस्थ व्यक्ति के लिए भी करवाई जा सकती है ताकि उसे जीवन में कभी किसी बड़े रोग या दुर्घटना का सामना ना करना पड़े और उसकी आयु लम्बी हो जाए और वह किसी भी रोग से जीत हांसिल कर सके.
विधि- कहते हैं इस पूजा में सवा लाख या एक लाख 51 हजार मंत्रों का जाप किया जाता है और इसकी अवधि 7 दिन से लेकर 11 दिन तक होती है. इसी के साथ इस पूजा को आप खुद भी कर सकते हैं लेकिन किसी पंडित से करवाना उचित होगा. यह पूजा एक या पांच पंडित मिलकर करते हैं और प्रतिदिन के मंत्रों की संख्या निर्धारित कर लें. इसी के साथ पूजा प्रारंभ करने से पूर्व जिस जातक के लिए पूजा की करवाई जाती है उसके नाम, गोत्र आदि का उच्चारण हर करते हुए संकल्प दिलवाया जाता है फिर मंत्र जाप प्रारंभ किए जाते हैं. इसके बाद 7 या 11 दिन की पूजा समाप्ति के दिन कुल मंत्रों की दशांश संख्या का हवन किया जाता है और इसमें 3 से 4 घंटे का समय लगता है. वहीं अंत में हवन संपन्न् होने के बाद जाप करने वाले पंडितों को सपत्नीक भोजन करवाकर अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है.
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