महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में वर्तमान में 36 जिलों के 34 में से 484 ग्रामीण अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों जिला और उप-जिला अस्पतालों के डेटा उपलब्ध हैं। ऐसे में एक फायर ऑडिट किया था पर केवल 45 के पास NOC मिला है। वहीँ कम से कम एक बार 218 पर एक मॉक फायर ड्रिल किया गया है। हाल ही में इस बारे में बात करते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक एन रामास्वामी ने कहा, बहुत से ऐसे अस्पताल हैं जो दशकों पुराने हैं और फायर सेफ्टी के लिए एनओसी प्राप्त किए बिना पीडब्ल्यूडी द्वारा हमें सौंप दिए गए थे। अब जल्द ही हम सभी जिलों को एक परिपत्र देंगे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आवश्यक अनुमति होने के बाद ही कोई अस्पताल काम करना शुरू करे।
इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि PWD के साथ उसमे हम स्पष्ट रूप से यह भी लिख देंगे कि फायर ऑडिट, एनओसी और अन्य अनुमतियों के लिए कौन जिम्मेदार है। आप सभी को हम यह भी बता दें कि पुणे में मूल्यांकन किए गए 26 सरकारी अस्पतालों में से केवल चार ने FIRE सेफ्टी ऑडिट किया है, और किसी के पास NOC नहीं है। वहीँ अग्निशमन विभाग से एक एनओसी, ठाणे में 13 अस्पतालों में, सात ने फायर ऑडिट किया है और दो के पास एनओसी है। इसके अलावा कुछ जिलों ने अपने सभी सरकारी अस्पतालों के लिए फायर सुरक्षा के मद्देनजर बहुत खराब प्रोटोकॉल दिखाया है।
बताया जा रहा है नंदुरबार, धुले, सतारा, जलगांव और सिंधुदुर्ग ने न तो एक भी फायर ऑडिट किया है और न ही उनके पास अब तक के किसी भी अस्पताल के लिए फायर डिपार्टमेंट से NOC है। नंदुरबार में जिला स्वास्थ्य अधिकारी (डीएचओ) डॉ नितिन बोरके ने कहा, ''भंडारा में आग लगने की घटना के बाद, मैंने सभी पीएचसी को फायर ऑडिट कराने के लिए एक पत्र जारी किया।''
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