नई दिल्लीः चुनाव आयोग ने हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। इसके साथ ही इन राज्यों में आचार सहिंता लागू हो गई। इन चुनावों में बीजेपी के साख एक बार फिर दांव पर है। दोनों राज्यों में पार्टी की सरकार है। गत लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने इन राज्यों में अच्छा प्रदर्शऩ किया था। इन राज्यों में पार्टी की सीधी लड़ाई कांग्रेस से है। बीजेपी कांग्रेस को हराकर उसके मनोबल को और तोड़ना चाहेगी। मोदी सरकार द्वारा लिए गए कश्मीर पर हालिय़ा फैसले के बाद पार्टी गदगद है।
क्योंकि इस मुद्दे पर उसे देशभर से समर्थऩ मिला है। पार्टी इसे आगामी विधानसभा चुनावों में भूनाने की कोशिश में हैं। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस आशय का साफ संदेश दे दिया है। स्थानीय नेतृत्व की जगह पीएम मोदी को मुख्य चेहरा बनाने के लिए पार्टी ने इस आशय की चुनावी रणनीति तैयार की है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने, तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने और असम में एनआरसी लागू करने जैसे मुद्दों को पार्टी विधानसभा चुनाव में बेहद अहम मान रही है।
रणनीतिकारों का कहना है कि चुनावी राज्यों में इन फैसलों का व्यापक और सकारात्मक असर है। इन्हें मुद्दा बनाने पर पीएम मोदी स्वत: ही चुनावी राज्यों में पार्टी का मुख्य चेहरा बन जाएंगे। यही कारण है कि पार्टी ने इन फैसलों पर चुनावी राज्यों में जिला स्तर पर कार्यक्रम करने का फैसला किया है। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि इस रणनीति के कारण चुनावी राज्यों में राज्य सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर को कुंद किया जा सकेगा।
पीएम मोदी हमेशा की तरह उपचुनाव में प्रचार करने से दूर रहेंगे, मगर हरियाणा और महाराष्ट्र में धुआंधार प्रचार करेंगे। हरियाणा में पीएम चार रैलियां करेंगे। जरूरत पडने पर इसकी संख्या छह तक पहुंचाई जा सकती है। इसी प्रकार महाराष्ट्र में पीएम करीब एक दर्जन रैलियां करेंगे। इस राज्य में भी जरूरत पडने पर रैलियों की संख्या बढ़ाई जाएगी। बाजेपी उम्मीदवारों के नाम का ऐलान 28 से 30 तारीख तक कर सकती है।
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