मुंबई: राज्य के ऊर्जा विभाग की आर्थिक सेहत बिलकुल भी ठीक नहीं है। कहा जा रहा है इस समय बकाया बिलों की वसूली नहीं किए जाने से यह रकम बढ़कर 73,000 करोड़ रुपये हो चुकी है। इस समय आलम यह है कि बिजली उत्पादन करने वाली महाराष्ट्र राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड (महाजनको) के पास कोयले की भारी किल्लत है। जी दरअसल कोयले का स्टॉक महज डेढ़ से दो दिन का ही रह गया है। ऐसे में कोयला खरीदने के लिए ऊर्जा विभाग ने मदद के लिए वित्त विभाग के सामने हाथ फैला दिए हैं लेकिन वित्त मंत्री अजित पवार ऊर्जा विभाग के काम-काज से नाराज हैं। यह मामला अब मुख्यमंत्री तक जा चुका है।
वहीं दूसरी तरफ ऊर्जा विभाग का कहना है कि 'आर्थिक मदद नहीं की गई, तो महाराष्ट्र कभी भी अंधेरे में जा सकता है।' आप सभी को बता दें कि बिजली विभाग के बकाये बिल 73,000 करोड़ रुपये की वसूली नहीं हो पा रही है। ऐसे में विभाग ने कई तरह की योजनाएं घोषित की, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। वहीं किसानों पर भी 49,000 करोड़ रुपये का बकाया है और वसूली नहीं के बराबर है। इसी के साथ ग्रामीण इलाकों की स्ट्रीट लाईट के 5,684 करोड़ रुपये, जलापूर्ति योजनाओं के 1,647 करोड़ रुपये और ग्रामीण विकास पर भी बिजली विभाग के 7,331 करोड़ रुपये बकाया है।
वहीं नगरपालिका, महानगरपालिकाओं के स्ट्रीट लाइट के 441 करोड़ रुपये और जलापूर्ति के 98.1 करोड़ यानी नगर विकास विभाग के पास 539 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं हो पाया है। कहा जा रहा है इन सभी की वसूली के लिए ऊर्जा विभाग ने संबंधित विभागों को पत्र लिखा है, लेकिन वहां से भी भुगतान को लेकर कोई जवाब नहीं मिल रहा है। मिली जानकारी के तहत महाराष्ट्र में बिजली उत्पादन करने वाली कंपनी महाजनको के पास कोयले की भारी कमी हो गई है। यहाँ पहले सात से 12 दिन तक कोयले का स्टॉक हुआ करता था, वहीं अब केवल डेढ़ से दो दिन का ही स्टॉक बचा है।
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