मुंबई: महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख का कहना है कि पतंजलि की कोरोनिल दवा की बिक्री को महाराष्ट्र में विश्व स्वास्थ्य संगठन और आईएमए से उचित प्रमाणीकरण के बिना अनुमति नहीं दी जाएगी। हाल ही में अनिल देशमुख ने एक ट्वीट किया है। इस ट्वीट में उन्होंने लिखा है- 'राज्य के गृहमंत्री की प्रतिक्रिया एसे समय में आई है जब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने कोरोनिल टैबलेट पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से स्पष्टीकरण की मांग की है।' इसी के साथ अनिल देशमुख ने एक अन्य ट्वीट भी किया है। इस ट्वीट में उन्होंने कहा, "कोरोनिल के तथाकथित परीक्षण पर आईएमए ने सवाल उठाए हैं और डब्ल्यूएचओ ने कोविड के उपचार के लिए पतंजलि आयुर्वेद को किसी भी प्रकार कि स्वीकृति देने से इंकार किया है। ऐसे में जल्दीबाज़ी में किसी भी दवा को उपलब्ध करवाना और दो वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियो द्वारा सराहना उचित नहीं।"
#Coronil के तथाकथित परीक्षण पे #IMA ने सवाल उठाए है और #WHO ने कोविद के उपचार के लिए पतंजलि आयुर्वेद को किसी भी प्रकार कि स्वीकृति देने से इंकार किया है। ऐसे में जल्दीबाज़ी में किसी भी दवा को उपलब्ध करवाना और दो वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियो द्वारा सराहना उचित नहीं। (१/२)
— ANIL DESHMUKH (@AnilDeshmukhNCP) February 23, 2021
क्या है मामला - जी दरअसल पतजंलि की कोरोनिल टैबलेट को विश्व स्वास्थ्य संगठन से प्रमाण पत्र मिलने की बात को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने बीते सोमवार को झूठ बताया। उसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन से स्पष्टीकरण की मांग की गई। जी दरअसल पतंजलि का यह दावा है कि कोरोनिल दवा कोविड-19 को ठीक कर सकती है और साक्ष्यों के आधार पर इसकी पुष्टि की गई है। वहीं डब्ल्यूएचओ ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उसने किसी भी पारंपरिक औषधि को कोविड-19 के उपचार के तौर पर प्रमाणित नहीं किया है।
पतंजलि की #Coronil दवा की बिक्री को महाराष्ट्र में #WHO, #IMA और अन्य संबंधित सक्षम स्वास्थ्य संस्थानों से उचित प्रमाणीकरण के बिना अनुमति नहीं दी जाएगी। (२/२)
— ANIL DESHMUKH (@AnilDeshmukhNCP) February 23, 2021
बीते 19 फरवरी को योग गुरु रामदेव के पतंजलि आयुर्वेद ने कहा था कि, 'डब्ल्यूएचओ की प्रमाणन योजना के तहत कोरोनिल टेबलेट को आयुष मंत्रालय की ओर से कोविड-19 के उपचार में सहायक औषधि के तौर पर प्रमाण पत्र मिला है।' उसके बाद पतंजलि के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने बाद में ट्वीट कर सफाई दी थी और कहा था, “हम यह साफ कर देना चाहते हैं कि कोरोनिल के लिए हमारा डब्ल्यूएचओ जीएममी अनुपालन वाला सीओपीपी प्रमाण पत्र डीजीसीआई, भारत सरकार की ओर से जारी किया गया। यह स्पष्ट है कि डब्ल्यूएचओ किसी दवा को मंजूरी नहीं देता। डब्ल्यूएचओ विश्व में सभी के लिए बेहतर भविष्य बनाने के वास्ते काम करता है।”
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