मुंबई: अभी-अभी महाराष्ट्र की 14वीं विधानसभा के सदस्यों का बुधवार 27 नवंबर 2019 को शुरू हुआ शपथ ग्रहण समारोह इस मायने में भिन्न था कि जब सदन का विशेष सत्र आरंभ हुआ तब तक न तो सरकार का गठन हुआ था और न ही मुख्यमंत्री नियुक्त हुए थे. वहीं राज्य विधानभवन के प्रभारी सचिव राजेंद्र भागवत ने बताया कि बीते कई दशकों से यह परंपरा चली आ रही है कि सबसे पहले शपथ मुख्यमंत्री लेते हैं और उनके बाद अन्य सदस्यों को शपथ दिलवायी जाती है.
वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक उन्होंने कहा कि इसके तुरंत बाद या फिर उसके बाद के सत्र में शक्ति परीक्षण करवाया जाता है. वहीं इस मामले में मुख्यमंत्री ने तो शपथ ली ही नहीं लेकिन सदन के सदस्यों को शपथ ग्रहण करवाई गई. उच्चतम न्यायालय के अंतरिम आदेश के चलते शपथ ग्रहण समारोह करवाना हमारे लिए अनिवार्य हो गया था. सभी सदस्यों के शपथ ग्रहण के बाद विधानसभा बिना प्रमुख और बिना मंत्रिमंडल के ही आरंभ हो जाएगी.
यदि सूत्रों की माने तो भागवत ने कहा- कि मुख्यमंत्री को शपथ लेने के बाद मंत्रिमंडल का गठन करना होगा. अगले पूर्ण सत्र का कार्यक्रम मंत्रिमंडल की पहली बैठक में तय होगा. शक्ति परीक्षण उसी सत्र में होगा. महाराष्ट्र में 288 विधायकों को शपथ दिलाने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुधवार सुबह आरंभ हो गया. कार्यवाहक अध्यक्ष कालीदास कोलांबकर विधायकों को शपथ दिला रहे हैं. अजित पवार, छगन भुजबल, अशोक चव्हाण और पृथ्वीराज चव्हाण पहले शपथ लेने वालों में शामिल रहे. सदस्यों को वरिष्ठता क्रम के आधार पर शपथ दिलाई जा रही है. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कोलांबकर को मंगलवार शाम को विधानसभा का कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त किया गया था.
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