मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) में आईएनएस विक्रांत निधि गबन मामले (INS Vikrant Fraud Case) को लेकर शिवसेना (Shiv Sena) ने अपने मुखपत्र 'सामना' (Saamana) में राज्य सरकार पर निशाना साधा है। जी दरअसल शिवसेना ने हाल ही में सामना में अपने संपादकीय में यह लिखा है कि, 'राज्य में शिंदे-फडणवीस महामंडल की सरकार आने के बाद राहत घोटाले के मामले बढ़ गए हैं।' जी दरअसल शिवसेना ने राज्य सरकार द्वारा बीजेपी नेता किरीट सोमैया (Kirit Somaiya) और उनके बेटे को इस मामले में राहत देने का आरोप लगाते हुए उसपर तंज कसा। शिवसेना ने अपने लेख सामना में लिखा है, "आईएनएस विक्रांत निधि गबन मामले में पिता-पुत्र को राहत दी गई है। पुलिस का कहना है कि इन दोनों के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं मिल रहे हैं।"
इसी के साथ शिवसेना ने इस मामले की जांच कर रहे अधिकारियों समेत राज्य सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि, 'अब यह ठोस सबूत आखिर में क्या है? महाविकास आघाड़ी सरकार के समय इस मामले में जो सबूत, गवाही वगैरह ली गई थी, वह क्या ठोस सबूत नहीं थे? आईएनएस विक्रांत कबाड़ में न जाए, यह राष्ट्रीय संपत्ति बचानी ही होगी। इसके लिए सोमैया पिता-पुत्र ने एक मुहिम चलाई।' इसके अलावा यह भी लिखा गया है- 'सरकार को भीख चाहिए तो हम जनता में जाकर सौ करोड़ रुपये इकट्ठा करेंगे और राजभवन में जमा कर देंगे। कुछ भी करके विक्रांत को कबाड़ में नहीं जाने देंगे। इस काम के लिए पिता-पुत्र ने चर्चगेट से लेकर विरार तक जगह-जगह निधि इकट्ठा की। उस दौरान उनकी फोटो, वीडियो, खबरें, सोमैया की पत्रकार परिषद की विज्ञप्ति उपलब्ध है लेकिन जुटाई गई निधि कहे अनुसार राजभवन में पहुंची ही नहीं, ऐसा खुलासा खुद महाराष्ट्र के राजभवन ने किया।'
इसी के साथ शिवसेना ने अपने मुखपत्र के जरिए बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि 'पुलिस कहती है, ठोस सबूत नहीं है और न्यायालय कहता है घोटालेबाज हो तब भी राहत मिलेगी! सोमैया ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ने का आडंबर रचकर न्याय और सत्य पर कीचड़ फेंका। हमें छोड़कर बाकी सब घोटालेबाज हैं, ऐसा दावा ये लोग करते हैं, तब हैरानी होती है। एच।डी।आई।एल।, पी।एम।सी। बैंक घोटाले के आरोपी से इस सोमैया की व्यापारिक भागीदारी है।' इसके अलावा शिवसेना ने सामना में लिखा कि, 'महाराष्ट्र में नई सरकार आने के बाद से सभी घोटालेबाज मुक्त हो गए हैं। भ्रष्टाचार के आरोप के कारण दूर किए गए हर अधिकारी को फिर से सेवा में शामिल करके सरकार के भ्रष्टाचारियों को बचाने के जैसे नए सुरक्षा रक्षक तैयार किए जा रहे हैं। फोन टैपिंग मामले में पूर्व पुलिस आयुक्त संजय पांडे को 'ईडी' ने गिरफ्तार किया, लेकिन ऐसा ही फोन टैपिंग का अपराध रश्मि शुक्ला पर भी दर्ज है।'
इसी के साथ शिवसेना ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसियों की हफ्ताउगाही की जांच करने वाली 'एसआईटी' को शिंदे-फडणवीस सरकार ने बर्खास्त कर दिया। नवनीत राणा का लकड़ावाला से संबंधित दस्तावेजी वित्तीय लेन-देन का मामला 'मनी लॉन्ड्रिंग' के अंतर्गत आता है लेकिन केंद्रीय जांच एजेंसी इन 'लॉन्ड्री' वालों को सामान्य जांच के लिए भी बुलाने को तैयार नहीं हैं। जिन पर हत्या, बलात्कार, आत्महत्या के लिए उकसाने, वसूली, वित्तीय घोटाले और ईडी की जांच शुरू थी, वे सभी भाजपा की 'वॉशिंग मशीन' में घुसकर स्वच्छ हो गए हैं। हालांकि, इससे आजादी का अमृत महोत्सव कलंकित और धूमिल हो गया है।
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