मुंबई: महाराष्ट्र के सीएम एवं शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अपनी जिंदगी के सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। उद्धव ठाकरे के समक्ष शिवसेना को बचाने की चुनौती है। पार्टी के दिग्गज नेता एकनाथ शिंदे के बगावती तेवर अपनाने के पश्चात् उद्धव के सामने ये खतरा खड़ा हुआ। एकनाथ शिंदे ने दावा किया है कि उनके पास 46 विधायकों का समर्थन है। ऐसे में महाविकास अघाडी (MVA) सरकार का सत्ता से जाना निर्धारित माना जा रहा है। MVA सत्ता से जाती है तो उद्धव के नाम के आगे से भी सीएम हट जाएगा।
शिवसेना के सामने जो खतरा आया है ये कोई नया नहीं है। वह इससे पहले भी इस दौर से गुजर चुकी है। 30 वर्ष पूर्व मतलब 1992 में भी शिवसेना के अस्तित्व पर संकट आया था, तब उद्धव ठाकरे के पिता बालासाहेब ठाकरे ने पार्टी को उस संकट से निकाला था। मौजूदा हालात में उद्धव के तेवर बालासाहेब की भांति ही नजर आ रहे हैं। प्रदेश में मचे राजनीतिक संकट के बीच पहली बार वह बुधवार को सामने आए तथा फेसबुक लाइव के जरिए लोगों को संबोधित किया। उद्धव ने स्पष्ट कहा कि उनके लिए पार्टी पहले है तथा सीएम पद का मोह उन्हें नहीं है। उद्धव ठाकरे ने कहा कि वह शिवसेना प्रमुख का पद भी छोड़ने को तैयार हैं।
उद्धव ठाकरे ने अपने इस बयान से बालासाहेब ठाकरे की याद दिला दी। दरअसल, 1992 में बालासाहेब ठाकरे के साथी माधव देशपांडे ने कई इल्जाम लगाए थे। उन्होंने उद्धव ठाकरे एवं राज ठाकरे की पार्टी में दखलंदाजी को मुद्दा बनाया था। ऐसे में बालासाहेब ने शिवसेना के मुखपत्र सामना में एक लेख लिखा था। इस लेख में बालासाहेब ने बोला था कि यदि कोई भी शिवसैनिक उनके सामने आकर यह बात बोलता है कि उसने ठाकरे परिवार की वजह से पार्टी छोड़ी है, तो वह उसी समय अध्यक्ष पद छोड़ देंगे। इसके साथ ही उनका पूरा परिवार शिवसेना से हमेशा के लिए अलग हो जाएगा। बालासाहेब ठाकरे का लेख पढ़ने के पश्चात् शिवसेना के लाखों कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए। कुछ कार्यकर्ता अपनी जान देने की धमकी भी देने लगे। मातोश्री के बाहर हजारों व्यक्तियों की भीड़ एकत्रित हो गई। तत्पश्चात, शिवसेना नेतृत्व बालासाहेब ठाकरे को मनाने में जुट गया।
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