मुंबई: काफी समय से महाराष्ट्र में चल रही सरकार के गठबंधन की बात महाराष्ट्र में शिवसेना और कांग्रेस-एनसीपी की मिलीजुली सरकार बनना लगभग तय हों चुका है. वही सरकार के गठन को लेकर दिल्ली में पिछले चार दिनों से सियासी सरगर्मियों के बाद शुक्रवार यानी 22 नवंबर 2019 को मुंबई में तीनों दलों की बैठक में फैसले का औपचारिक घोषणा हो सकती है. वही इससे पहले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अपने बेटे आदित्य के साथ देर रात एनसीपी प्रमुख शरद पवार के घर पहुंचे थे. पवार के घर पर शिवसेना सांसद संजय राउत और एनसीपी नेता अजित पवार भी शामिल हुए.
तय हो चुका सत्ता में भागीदारी का फॉर्मूला: सूत्रों से मिली जानकारी के बाद तीनों दलों के बीच सत्ता में भागीदारी का ‘फॉर्मूला’ तय हो चुका है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बन सकते हैं और कांग्रेस-एनसीपी की तरफ से बाला साहेब थोराट तथा अजित पवार को उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है.वही मंत्रिमंडल में 45 मंत्री होंगे, जिनमें शिवसेना और एनसीपी के 15-15 और कांग्रेस को 12 मंत्री पद दिए जा सकते है. जंहा तय फॉर्मूले के अनुसार मुख्यमंत्री भले ही शिवसेना का होगा, लेकिन महत्वपूर्ण और मलाईदार विभाग कांग्रेस-एनसीपी के पास ही रहेंगे. अजित पवार के पास गृह मंत्रालय, जयंत पाटिल के पास वित्त मंत्रालय और छगन भुजबल के पास पीडब्ल्यूडी विभाग रहेगा, जबकि कांग्रेस के थोराट को राजस्व मंत्रालय दिया जाएगा.
आदित्य ठाकरे बन सकते हैं शिक्षा मंत्री; वही एक रिपोर्ट में यह बात साफ़ हुई है कि चुनावी राजनीति में कदम रखने वाले उद्धव के बेटे आदित्य ठाकरे को शिक्षा मंत्री बनाया जा सकता है. सूत्र बताते हैं कि तीनों दलों में ‘चार विधायकों पर एक मंत्री’ का फॉर्मूला बनाया गया है. शिवसेना को 56 विधायकों पर 15, एनसीपी को 54 विधायकों पर 15 और कांग्रेस को 44 विधायकों पर 12 मंत्री पद मिल सकता है.
वही शिवसेना सूत्रों की मानें तो उद्धव मुख्यमंत्री पद के लिए अंतिम रूप से मन नहीं बना पाए हैं. उन्हें मंत्रालयों के कामकाज का प्रत्यक्ष अनुभव नहीं है. मगर कांग्रेस-एनसीपी ने उन्हें साफ कर दिया कि उनके नेता आदित्य ठाकरे के नेतृत्व में काम नहीं करेंगे. शुक्रवार 20 नवंबर 2019 को उद्धव अपने पत्ते खोलेंगे.
गठबंधन का नाम होगा महाविकास अघाड़ी: मिली जानकारी के अनुसार शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी के गठबंधन का नाम महाविकास अघाड़ी होगा. कांग्रेस-एनसीपी को पहले महाशिव अघाड़ी के नाम पर आपत्ति थी इसलिए इसका नाम बदल दिया गया है.
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