मुंबई: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी चीफ शरद पवार ने बीते बुधवार को कहा है कि, ''किसान 7 महीनों से प्रदर्शन कर रहे हैं और अब इस मसले का हल निकाला जाना चाहिए।'' इसी के साथ शरद पवार ने कहा कि, ''कृषि कानूनों को पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता लेकिन इसके जिन हिस्सों पर किसानों को ऐतराज है उनमें संशोधन बेहद जरूरी है।'' इसके अलावा उन्होंने मोदी सरकार से यह अपील की है कि किसानों के साथ बातचीत की प्रक्रिया को एक बार फिर से शुरू किया जाना चाहिए। जी दरअसल बीते कल मुंबई में एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में शरद पवार शामिल हुए थे।
इस दौरान उन्होंने कहा कि ''महाराष्ट्र में कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना का गठबंधन महाविकास अघाड़ी (MVA) भी इस बात पर सहमत है कि ‘पूरे बिल को खारिज कर देने के बजाय हम उस भाग में संशोधन की मांग कर सकते हैं जिसे लेकर किसानों को आपत्ति है।'' इसी के साथ उन्होंने कहा कि, ''इस कानून से संबंधित सभी पक्षों पर विचार करने के बाद ही प्रस्ताव को विधानसभा के पटल पर लाया जाएगा। इसी के बाद इस कानून को महाराष्ट्र में लागू किया जा सकता है।'' इसके अलावा शरद पवार ने यह भी कहा कि, 'किसान पिछले 7 महीने से देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों और केंद्र के बीच डेडलॉक की स्थिति बन गई है। केंद्र को पहल करके किसानों से बातचीत करनी चाहिए।'
इसके अलावा शरद पवार ने यह भी कहा कि, ''महाविकास अघाड़ी (MVA) सरकार के मंत्रियों का एक समूह इस कानून से होने वाले फायदे और नुकसान को लेकर चर्चा कर रहा है। राज्यों को अपने यहां इस कानून को लागू करने से पहले इसके विवादित पहलुओं पर विचार करना बेहद जरूरी है।'' इसी के साथ शरद पवार ने यह भी कहा कि, ''उन्हें नहीं लगता है कि महाराष्ट्र के दो दिनों के सत्र में ये बिल बहस के लिए आ पाएगा।'' आप सभी को बता दें कि, केंद्र द्वारा पास किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में बीते साल 26 नवंबर से किसानों का प्रदर्शन चल रहा है। यहाँ किसान गाजीपुर बॉर्डर, सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं।
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