यूं तो काशी के कण-कण का अपना महात्म्य है पर यहां के शिव मंदिरों की महिमा अपरंपार है। इसके अलावा जी हां, बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ की नगरी में एक लिंग ऐसा भी है जो हर महाशिवरात्रि पर जौ के बराबर बढ़ जाता है। वह है ईश्वरगंगी स्थित सिद्धपीठ श्री जागेश्वर महादेव मंदिर का शिवलिंग। इसके अलावा सावन में जागेश्वर महादेव के दर्शन, पूजन और रुद्राभिषेक का खास महत्व है।ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव यहां माता पार्वती के साथ विराजते हैं। इसके अलावा यही वजह है कि यहां हर समय श्रद्धालुओं की कतार लगी रहती है मान्यता है कि शिवलिंग के दर्शन, स्पर्श व पूजन से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
वही स्कंदपुराण काशी खंड के अनुसार जिस समय भगवान शिव काशी छोड़कर मंदराचल चले गए थे तो जैगीषव्य ऋषि ने प्रण लिया था कि शिव के दर्शन के बाद ही जल की एक बूंद ग्रहण करूंगा। वही इसके बाद उन्होंने मंदिर की गुफा में कठिन तपस्या शुरू कर दी। उनके दृढ़ योग से शिव प्रसन्न हो गए।इसके अलावा उन्होंने नंदी को लीला कमल के साथ ऋषि के पास भेजा। कमल को स्पर्श करते ही मुनि का क्षीण शरीर फिर से स्वस्थ हो गया।
जैगीषव्य ऋषि ने भगवान शिव से यह वरदान मांगा कि आप यहां के शिवलिंग में हमेशा उपस्थित रहें। वही इसके बाद भगवान शिव ने उनको यह वरदान दिया कि यह शिवलिंग दुर्लभ होगा और इसके दर्शन-पूजन से मनुष्य की हर कामना पूरी हो सकती है। इसके बाद से हर साल शिवलिंग में वृद्धि होती है। मंदिर की गुफा का कोई अंत नहीं है।एक बार इस गुफा की खुदाई की गई तो इतने विषधर निकलने लगे कि गुफा को बंद करना पड़ा। मंदिर के महंत स्वामी मधुर कृष्ण ने कहा कि यदि कोई इस शिवलिंग का तीन साल या तीन महीने ही दर्शन कर ले तो उसके सारे कष्ट दूर होने के साथ मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती हैं।
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