आप सभी को बता दें कि इस बार महाशिवरात्रि 4 मार्च को मनाई जाने वाली है. ऐसे में इस बार ख़ास संयोग बन रहे हैं इसी के साथ इस बार सब कुछ बहुत ख़ास होने वाला है. जी हाँ, महाशिवरात्रि बहुत ही ख़ास संयोग लेकर आ रही है और इस बार महशिवरात्रि पर अगर विधि विधान से पूजा की जाए तो वह सब कुछ हांसिल किया जा सकता है जो आप चाहते हैं. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं महाशिवरात्रि मंत्र एवं समर्पण किस प्रकार किया जा सकता है कि भोलेनाथ खुश होकर आपकी झोली में केवल खुशियां ही खुशियाँ भर दें. आइए जानते हैं.
महाशिवरात्रि समर्पण - आप सभी को बता दें कि महाशिवरात्रि पूजा विधान के समय ओम नम: शिवाय एवं शिवाय नम: मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए. ध्यान, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, पय: स्नान, दधि स्नान, घृत स्नान, गंधोदक स्नान, शर्करा स्नान, पंचामृत स्नान, शुद्धोदक स्नान, अभिषेक, वस्त्र, यज्ञोपवीत, बिल्व पत्र, नाना परिमल दव्य, धूप दीप नैवेद्य करोद्वर्तन (चंदन का लेप) ऋतुफल, तांबूल-पुंगीफल, दक्षिणा उपर्युक्त उपचार कर समर्पयामि कहकर पूजा संपन्ना करनी चाहिए.
पश्चात कपूर आदि से आरती पूर्ण कर प्रदक्षिणा, पुष्पांजलि, शाष्टांग प्रणाम कर महाशिवरात्रि पूजन कर्म शिवार्पण करने का विधान हमारे धर्म शास्त्रों में कहा गया है और अंतत: महाशिवरात्रि व्रत प्राप्त काल से चतुर्दशी तिथि रहते रात्रि पर्यन्त करना चाहिए. कहा जाता है रात्रि के चारों प्रहरों में भगवान शंकर की पूजा-अर्चना करने से जागरण, पूजा और उपवास तीनों पुण्य कर्मों का एक साथ पालन हो जाता है, साथ ही भगवान शिव की विशेष अनुकम्पा और मनोवांछित फल मिल जाता है. जैसा आप भगवान से कामना करते हैं भगवान उससे भी बढ़कर आपको देते हैं.
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