नईदिल्ली। विश्व में उल्लेखनीय कार्यों, श्रेष्ठ साहित्य, शांति के लिए प्रयास करने वालों और सराहनीय खोजों व चिकित्सा पद्धतियों में कुछ बेहतर कार्य करने वालों को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जाता रहा है। विश्वभर में कई लोग इस पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं, इन लोगों में कई भारतीय भी शामिल हैं। इन पुरस्कारों की शुरूआत स्वीडन के एल्फ्रेड नोबेल के नाम पर 1895 में हुई थी, उन्होंने डायनामाइट का आविष्कार किया था। मगर महात्मा गांधी को लेकर एक जानकारी सामने आई है जो पुरस्कार प्रदान करने वाले प्रबंधन की खामी को सामने ला रही है।
दरअसल राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को नोबेल पुरस्कार से नहीं नवाजा गया। वे महात्मा गांधी जो अहिंसा के समर्थक थे और उनका स्वाधीनता आंदोलन अहिंसा के मार्ग पर आधारित था। इसे नोबेल पुरस्कार के इतिहास में सबसे बड़ी भूल मानी जाती है। महात्मा गांधी इस पुरस्कार के लिए नामित किए जा चुके हैं। अल्फ्रेड नोबेल के नाम पर ये पुरस्कार दिए जाते हैं।
कुछ पुरस्कार मरणोपरांत भी दिए जाते हैं। वर्ष 1931 में एरिक एक्सल कार्लफेल्ट को यह सम्मान प्रदान किया था। एरिक एक्सल कार्लफेल्ट को यह सम्मान साहित्य हेतु दिया गया। इसके बाद करीब 60 साल बाद वर्ष 1961 में डाग होमरशोल्ड को शांति पुरस्कार प्रदान किया गया।
तीसरी बार 1974 में नोबेल पुरस्कार को लेकर नियम बदलना पड़ गया। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि, ओलिंपिक में अधिकांश बार खेलों की पदक तालिका में पहले क्रम पर रहने वाले अमेरिका ने सबसे अधिक नोबेल पुरस्कार प्राप्त किए हैं। जर्मनी इस मामले में दूसरे नंबर पर है, इसके बाद ब्रिटेन और फिर फ्रांस का क्रम है।
अमेरिका के तीन वैज्ञानिकों को मिला चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार
मलाला आप मुझ जैसी और भी वुमन को इंस्पायर करती हो.....
नोबेल शांति पुरस्कार विजेताओं की पहल का नहीं हुआ 'सू ची' पर कोई असर