महात्मा गांधी ने शुरू से ही भारत की आजादी के लिए संघर्ष किया है और उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ भी तमाम लड़ाईयां भी लड़ी हैं। गांधी जी हमेशा अपनी बुद्धिमानी से ही राजनीति करते थे और उनका मुख्य उदृदेश्य अंग्रेजों के चंगुल से देश को आजाद कराना था। लेकिन इसके बावजूद गांधी जी शांति का परिचय देते हुए अपनी राजनीति करते गए। वे राजनीति में कांग्रेस पार्टी का प्रतिनिधित्व करते थे।
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यहां बता दें कि गांधी जी के जीवन का इतिहास बहुत ही वृहद है और उनको जितना भी पढ़ा जाए उतना कम ही होगा। लेकिन जहां तक माना जाता है, गाँधी जी एक सफल लेखक थे और उन्होेंने कई दशकों तक अनेकों पत्र पत्रिकाओं का भी संपादन किया है। उनके द्वारा निकाले गए पत्र पत्रिकाओं में हरिजन,इंडियन ओपिनियन,यंग इंडिया आदि शामिल हैं। गांधी जी जब विदेश से भारत में वापस आए तब उन्होंने नवजीवन नामक मासिक पत्रिका भी निकाली इसके अलावा उनके द्वारा लगभग हर रोज समाचार पत्रों को पत्र लिखा गया।
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गौरतलब है कि महात्मा गांधी देश को आजाद कराने के लिए हर संभव प्रसास करने में लगे रहे हैं और उनके द्वारा देश की अखंडता और एकता में शांति बनाए रखने का भी प्रयत्न किया गया। वहीं गांधीजी ने देश के युवा क्रांतिकारीयों के साथ भी देश की आजादी के प्रति नेक भावना के साथ आंदोलन किए थे। गांधी जी ने कहा है कि सबसे महत्वपूर्ण लड़ाई लड़ने के लिए अपनी दुष्टआत्माओं, भय और असुरक्षा जैसी बातों पर विजय पाना है। गांधी जी ने अपने विचारों को सबसे पहले उस समय संक्षेप में व्यक्त किया जब उन्होंने कहा भगवान ही सत्य है बाद में उन्होंने अपने इस कथन को सत्य ही भगवान है में बदल दिया। हालांकि गांधी जी अहिंसा के सिद्धांत के प्रवर्तक बिल्कुल नहीं थे लेकिन फिर भी इसे बड़े पैमाने पर राजनैतिक क्षेत्र में इस्तेमाल करने वाले वे पहले व्यक्ति थे,गांधी जी ने अपनी आत्मकथा द स्टोरी ऑफ़ माय एक्सपेरिमेंट्स विथ ट्रुथ में दर्शन और अपने जीवन के मार्ग का वर्णन किया है।
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