देश-विदेश की बड़ी-बड़ी कंपनियां भारत में प्राइवेट ट्रेन चलाने की इच्छुक हैं। इसके अलावा इनमें टैल्गो, हुंडई और बंबार्डियर जैसी वे कंपनियां भी शामिल हैं जो खुद ट्रेनों का निर्माण भी करती हैं। वही भारतीय कंपनियों में टाटा, अडानी जैसे बड़े समूहों के अलावा आरके एसोसिएट्स जैसी ट्रेनों में कैटरिंग सेवाएं देने वाली कंपनी भी ट्रेन चलाना चाहती है। वही ऐसा माना जाता है कि ट्रेन संचालन में अनुभवहीन भारतीय कंपनियां अनुभवी विदेशी कंपनियों के साथ मिलकर सौ रूटों पर डेढ़ सौ ट्रेनें चलाने के लिए बोली लगाएंगी। इसके साथ ही इसके लिए रेलवे शीघ्र ही प्रारंभिक स्तर की पात्रता (आरएफक्यू) निविदाएं आमंत्रित करने वाला है।आरएफक्यू निविदाएं जारी करने से पहले रेलवे ने बीते दिनों देश-विदेश की इच्छुक कंपनियों का सम्मेलन बुलाया था।
इसमें भारत की ओर से वंदे भारत ट्रेन बनाने वाली कंपनी मेधा, भारी उपस्कर व रेलवे कोच बनाने वाली पीएसयू बीईएमएल,है | वही गुजरात में पीपावाव पोर्ट फ्रेट ट्रेन चलाने वाली अडानी पोर्ट्स एंड एसईजेड तथा ट्रेनों में कैटरिंग सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनी आरके एसोसिएट्स भी शामिल है | इसके साथ ही रियल्टी कारोबार से जुड़ी टाटा समूह की टाटा रियल्टी तथा लोको पार्ट बनाने वाली भारत फोर्ज और इंफ्रास्ट्रक्चर व मनोरंजन क्षेत्र से जुड़े एस्सेल ग्रुप ने हिस्सा लिया था। इसमें शामिल होने वाली विदेशी कंपनियों में अमेरिका की बंबार्डियर, जापान की हिताची, चीन की सीआरआरसी, फ्रांस की एल्स्टॉम, जर्मनी की सीमेंस, दक्षिण कोरिया की हुंडई तथा भारत में अपनी सेमी-हाईस्पीड ट्रेन का ट्रायल दिखा चुकी स्पेन की कंपनी टैल्गो के नाम मौजूद हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें की प्री-बिड कांफ्रेंस में निजी क्षेत्र के सहयोग से दो ‘तेजस’ ट्रेनें चला चुकी रेलवे की कंपनी आइआरसीटीसी ने भी भाग लिया। इसमें निविदा की शर्तो के बारे में चर्चा की गई। सूत्रों के मुताबिक इसमें रेलवे की ओर से प्रस्तावित हॉलेज शुल्क तथा राजस्व साझेदारी अनुपात को लेकर अधिकतर कंपनियों ने सहमति जताई। राजस्व में किराये के अलावा ट्रेन के बाहर और भीतर विज्ञापनों से होने वाली आमदनी मौजूद होगी। वित्तीय निविदाओं के लिए उन्हीं कंपनियों या कंसोर्टियम का चयन किया जा सकता है | जिनके पास निर्धारित पूंजी के अलावा ट्रेन संचालन या निर्माण अथवा परिवहन क्षेत्र में कारोबार का अनुभव होगा।
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