बहुमत की विपत्ति से जूझ रहे राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को सरकारी निवास खाली करने से वंछित कर दिया है. पूर्व सीएम वसुंधरा राजे अब इस कार्यकाल तक और फिर एमएलए निर्वाचित होने पर मौजूदा बंगले में रह सकती हैं. गहलोत सरकार ने निर्णय लिया कि जब तक कोई पूर्व मुख्यमंत्री एमएलए रहेगा उसे टाइप वन श्रेणी का निवास मिलेगा. वो भी आउट ऑफ टर्न.
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बता दे कि राजे को जयपुर के सिविल लाइंस में मुख्यमंत्री हाउस के करीब टाइप वन श्रेणी का ही निवास नंबर-13 आंवटित है. इस निवास में राजे साल 2008 से ही रह रही हैं. वर्ष 2013 से 2018 तक जब वह सीएम रहीं, तब बतौर मुख्यमंत्री भी इसी बंगले में रही थीं. इसे ही सीएम हाउस घोषित करवा दिया था. राजस्थान सरकार ने राजे के बंगले समेत चार बंगलों को सामान्य प्रशासन विभाग से विधानसभा के पूल में डाल दिया है. अब ये बंगले पूर्व मुख्यमंत्री, केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे या प्रदेश मंत्री और तीन बार विधानसभा के सदस्य रहे या फिर राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री और दो बार विधानसभा सदस्य रहे या फिर दो बार सासंद रहे नेताओं को आंवटित किए जा सकेंगे.
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इस निर्णय से अब इस दायरे में आने वाले नेताओं को आउट ऑफ टर्न बंगले आंवटित करने का रास्ता गहलोत गवर्नमेंट ने खोज लिया है. राजस्थान उच्च न्यायालय ने 2019 में पूर्व मुख्यमंत्रियों से सरकारी बंगले खाली करवाने का आदेश दिया था. इसमें वसुंधरा राजे का सरकारी बंगला भी शामिल था. राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार ने राजे से बंगला खाली नहीं करवाया. हालांकि कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ पहाड़िया से बंगला खाली करवा लिया गया था. पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट राजे से बंगला खाली नहीं करवाने पर राजे और गहलोत के बीच मिलीभगत आरोप लगा चुके हैं.
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