नई दिल्ली. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज से तक़रीबन दो साल पहले आठ दिसंबर 2016 में देश में नोटबंदी किये जाने की घोषणा की थी जिसके तहत देश में 500 और 1000 रुपये के नोटों को अमान्य कर दिया गया था. उस वक्त सरकार ने इस फैसले का मुख्य मकसद देश में छुपे कालेधन को बहार निकलना बताया था. इसके बाद से इस मामले को लेकर देशभर में बहुत विरोध हुआ था और कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों ने इस मामले में केंद्र सरकार पर कई तरह के आरोप लगाए थे.
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लेकिन इन सब के बीच अब सरकार के हित में एक रिपोर्ट यहाँ आई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक देश में नोटेबंदी होने की वजह से इस साल के आयकर रिटर्न में बीते साल की तुलना में तक़रीबन 50 फीसदी की बढ़त आई है. वित्त मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन सुशील चंद्रा ने हाल ही में इस मामले की जानकारी दी है. दरअसल देश की राजधानी दिल्ली में कल सीआईआई द्वारा एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था. इस कार्यक्रम में श्रोताओं और मीडिया संवाददाताओं को सम्बोधित करते हुए सीबीडीटी के चेयरमैन सुशील चंद्रा ने यह बाते कही है.
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सुशील चंद्रा ने इस दौरान यह भी कहा कि यह केंद्र सरकार के नोटेबंदी के फैसले का ही असर है कि देश में कर अदायगी में इतना भारी इजाफा हुआ है.
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