आप सभी को बता दें कि आज सभी जगह मकर संक्रांति मनाई जा रही है. यह वर्ष का पहला सबसे ख़ास त्यौहार मनाया जाता है. ऐसे में कहा जाता है कि इस दिन दान पुण्य करते हैं और देश के कुछ हिस्सों में तो इस दिन पतंग भी उड़ाने की भी परंपरा है. आप सभी शायद ही जानते होंगे कि पतंग उड़ाने की परंपरा की शुरुआत खुद भगवान राम ने की थी. जी हाँ, तुलसी दास जी ने राम चरित मानस में भगवान श्री राम के बाल्यकाल का वर्णन करते हुए कहा गया है कि भगवान श्री राम ने भी पतंग उड़ायी थी.
आप सभी को बता दें कि रामायण में भी इस घटना का जिक्र किया गया है. रामायण के अनुसार मकर संक्रांति ही वह पावन दिन था जब भगवान श्री राम और हनुमान जी की मित्रता हुई. कहते हैं मकर संक्राति के दिन राम ने जब पतंग उड़ायी तो पतंग इन्द्रलोक में पहुंच गयी. उसमे लिखा है ''राम इक दिन चंग उड़ाई. इंद्रलोक में पहुंची जाई..'' इसका मतलब है पतंग को देखकर इन्द्र के पुत्र जयंती की पत्नी सोचने लगी कि, जिसकी पतंग इतनी सुन्दर है वह स्वयं कितना सुंदर होगा. वहीं आगे इस कथा में है भगवान राम को देखने की इच्छा के कारण जयंती की पत्नी ने पतंग की डोर तोड़कर पतंग अपने पास रख ली. भगवान राम ने हनुमान जी से पतंग ढूंढकर लाने के लिए कहा. हनुमान जी इंद्रलोक पहुंच गये.
जयंत की पत्नी ने कहा कि जब तक वह राम को देखेगी नहीं पतंग वापस नहीं देगी. हनुमान जी संदेश लेकर राम के पास पहुंच गये. भगवान राम ने कहा कि वनवास के दौरान जयंत की पत्नी को वह दर्शन देंगे. हनुमान जी राम का संदेश लेकर जयंत की पत्नी के पास पहुंचे. राम का आश्वासन पाकर जयंत की पत्नी ने पतंग वापस कर दी. ''तिन सब सुनत तुरंत ही, दीन्ही दोड़ पतंग. खेंच लइ प्रभु बेग ही, खेलत बालक संग..''
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