मकर संक्रांति के नाम के पीछे क्या है महत्त्व, इस दिन ही क्यों सूर्य की किरणें पहुचांती हैं लाभ

मकर संक्रांति के नाम के पीछे क्या है महत्त्व, इस दिन ही क्यों सूर्य की किरणें पहुचांती हैं लाभ
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14 जनवरी को सूर्य उत्तरायण होंगे जिसके अगले दिन मतलब 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व देशभर में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जा सकता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति का उल्लेख वैदिक धर्मग्रंथ, धर्मसूत्र और आचार संहिता में भी मिलता है। सूर्य उत्तरायण के बाद देश भर में मकर संक्रांति का पर्व अलग-अलग सांस्कृतिक रूपों में मनाया जाता है। चलिए , आज हम आपको बताते हैं इस पर्व को मकर संक्रांति के नाम से क्यों जाना जाता है।

हिंदू पंचांग के मुताबिक पौष शुक्ल पक्ष में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। मकर संक्रांति में 'मकर' शब्द मकर राशि को दर्शाता है जबकि 'संक्रांति' का मतलब प्रवेश करना होता है। सूर्य उत्तरायण के बाद मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। एक राशि को छोड़कर दूसरे में प्रवेश करने को संक्रांति कहा जाता है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के कारण ही इस पर्व को 'मकर संक्रांति' के नाम से जाना जाता है। 

चलिए जानते हैं कैसे मकर संक्रांति से सूर्य की किरणें सेहत ओर शांति को बढ़ाती हैं| धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब सूर्य पूर्व से दक्षिण की और आगे को बढ़ता है तो इसकी किरणों को हानिकारक माना जाता है। परन्तु सूर्य के उत्तरायण होने से जब सूर्य पूर्व से उत्तर की ओर चलने लगता है, तब सूर्य की किरणों को बहुत अधिक लाभकारी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति से सूर्य की किरणें सेहत ओर शांति को बढ़ाती हैं। 

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