मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा है। वही इस दिन आसमान में रंग-बिरंगी पतंगें दिखाई देती हैं। पूरे उत्तर भारत का ही आलम यही होता है। कई जगहों पर तो पतंग उड़ाने की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं। परन्तु क्या आप यह जानते हैं कि मकर संक्रांति के दिन पतंग क्यों उड़ाई जाती है। मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाकर यह त्योहार मनाने का चलन काफी प्रचलित है। पतंग उड़ाने का रिवाज मकर संक्रांति के साथ जुड़ा हुआ है। इसके साथ मकर संक्रांति के दिन अक्सर अपने घरों की छतों से पतंग उड़ाकर इस त्योहार का जश्न मनाते हैं। इस दिन सूर्य से मिलने वाली धूप का उनके शरीर को फायदा मिलता है।
वही इसके अलावा कहा जाता है कि सर्दियों में हमारा शरीर खांसी, जुकाम और अन्य कई संक्रमण से प्रभावित होता है मकर संक्रांति के दिन सूर्य उतारायण में होता है। सूर्य के उतरायण में जाने के समय उससे निकलने वाली सूर्य की किरणें मानव शरीर के लिए औषधि का काम करती हैं। इसलिए पतंग उड़ाने के शरीर को लगातार शरीर को सूर्य से सेंक मिलता है और उससे हमारा शरीर स्वस्थ रहता है। एक मान्यता के मुताबिक , त्रेतायुग में भगवान श्री राम ने मकर संक्रांति के दिन ही अपने भाइयों और श्री हनुमान के साथ पतंग उड़ाई थी, इसलिए तब से यह परंपरा पूरी दुनिया में प्रचलित हो गई। प्राचीन भारतीय साहित्य और धार्मिक ग्रंथों में भी पतंगबाजी का काफी उल्लेख मिलता है।
हिंदू पंचांग के मुताबिक पौष माह में जब सूर्य मकर राशि में आता है तब ये पर्व मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक माना जाता है कि इस दिन देव भी धरती पर अवतरित होते हैं और आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। मकर संक्रांति के दिन पुण्य, दान, जप तथा धार्मिक अनुष्ठानों का महत्व माना जाता है। इस दिन भगवान को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। कई स्थानों पर इस दिन मृत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए खिचड़ी दान करने की परंपरा भी माना जाती है।
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