मकर संक्रांति का पर्व इस साल 14 जनवरी को आने वाली है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं 5 पौराणिक तथ्य। आइए बताते हैं।
1। पुराणों के मुताबिक मकर संक्रांति के दिन सूर्य अपने पुत्र शनि के घर एक महीने के लिए जाते हैं, कहा जाता है ऐसा इसलिए क्योंकि मकर राशि का स्वामी शनि है। वहीं ज्योतिषीय दृष्टि से सूर्य और शनि का तालमेल संभव नहीं, लेकिन इस दिन सूर्य खुद अपने पुत्र के घर जाते हैं। इस वजह से पुराणों में यह दिन पिता-पुत्र के संबंधों में निकटता की शुरुआत के रूप में देखा जाता है।
2 - कहा जाता है इस दिन भगवान विष्णु ने असुरों का अंत करके युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी। इस दौरान उन्होंने सभी असुरों के सिरों को मंदार पर्वत में दबा दिया था इस वजह से यह दिन बुराइयों और नकारात्मकता को खत्म करने का दिन भी माना जाता है।
3 - कहते हैं एक अन्य पुराण के अनुसार गंगा को धरती पर लाने वाले महाराज भगीरथ ने अपने पूर्वजों के लिए इस दिन तर्पण किया था और उनका तर्पण स्वीकार करने के बाद इस दिन गंगा समुद्र में जाकर मिल गई थी। वहीं राजा भगीरथ सूर्यवंशी थे, जिन्होंने भगीरथ तप साधना के परिणामस्वरूप पापनाशिनी गंगा को पृथ्वी पर लाकर अपने पूर्वजों को मोक्ष प्रदान करवाया था। ऐसे में राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों का गंगाजल, अक्षत, तिल से श्राद्ध तर्पण किया था और तब से माघ मकर संक्रांति स्नान और मकर संक्रांति श्राद्ध तर्पण की प्रथा चली आ रही है।
4। सूर्य संस्कृति में मकर संक्रांति का पर्व ब्रह्मा, विष्णु, महेश, गणेश, आद्यशक्ति और सूर्य की आराधना एवं उपासना का पावन व्रत है, जो तन-मन-आत्मा को शक्ति देने का काम करता है।
5। कहते हैं संत-महर्षियों का मानना है इसके प्रभाव से प्राणी की आत्मा शुद्ध होती है। इसका व्रत रखने से संकल्प शक्ति बढ़ती है।
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