मिट्टी ही नहीं, घर पर इन चीजों से बनाएं इको फ्रेंडली गणपति

मिट्टी ही नहीं, घर पर इन चीजों से बनाएं इको फ्रेंडली गणपति
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गणेश चतुर्थी के अवसर पर भगवान गणेश की पूजा धूमधाम से की जाती है। भक्त 5, 7, 9, या 10 दिनों तक गणपति की प्रतिमा को घर, सार्वजनिक जगहों, या पंडाल में रखकर पूजा करते हैं। इस दौरान भजन, कीर्तन, और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। अंत में, मूर्ति को नदी या तालाब में विसर्जित किया जाता है।

हाल के वर्षों में, पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ी है। इसलिए, लोग अब प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) की जगह इको-फ्रेंडली मूर्तियों का चयन कर रहे हैं। पीओपी जल स्रोतों को प्रदूषित कर सकता है, जबकि मिट्टी की मूर्तियां आसानी से गल जाती हैं और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचातीं।

इको-फ्रेंडली गणपति मूर्तियाँ:
गोबर से बनी मूर्ति: गोबर से बनी मूर्तियाँ पूरी तरह से इको-फ्रेंडली होती हैं। इनमें कोई प्लास्टिक या हानिकारक रसायन नहीं होते हैं, जिससे ये पर्यावरण के अनुकूल होती हैं।

हल्दी की मूर्ति: रसोई में मौजूद हल्दी से भी गणपति की मूर्ति बनाई जा सकती है। हल्दी को पीसकर पानी में मिलाएं और आटे की तरह गूंथ लें। इससे भगवान गणेश की आकृति बनाएं।

मैदा या आटे की मूर्ति: मैदा या आटे से भी गणपति की मूर्ति बनाई जा सकती है। इन दोनों में से किसी एक को पानी में घोलकर मूर्ति का आकार दें और फिर हल्दी, चुकंदर के रस और पत्तियों से सजाएं।

साबूदाना और चावल: मूर्ति की सजावट के लिए साबूदाना, मेवे, चावल, रंग-बिरंगी दालें, और ऑर्गेनिक पेंट्स का उपयोग कर सकते हैं।

मूर्ति बनाने की विधि:
मिट्टी की मूर्ति:

सबसे पहले, मिट्टी को गीला कर लें ताकि वह नरम और काम में आसान हो जाए।
एक ठोस पेस्ट तैयार करें और मूर्ति के शरीर, सिर, उंगलियों का आकार दें।
इसे सूखने के लिए कुछ समय के लिए छोड़ दें और फिर सजावट करें।

हल्दी या आटे की मूर्ति:
हल्दी या आटे को पानी में मिलाकर गूंथ लें।
मूर्ति का आकार दें और सजावट के लिए हल्दी, चुकंदर के रस, या पत्तियों का उपयोग करें।

इन आसान और इको-फ्रेंडली विधियों से आप गणेश चतुर्थी पर पर्यावरण की रक्षा करते हुए भगवान गणेश की पूजा कर सकते हैं।

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