नई दिल्लीः मलेरिया विश्व की जानलेवा बीमारियों में शुमार है। हरेक साल लाखों इसका शिकार बनते हैं। दुनिया के प्रमुख मलेरिया विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों और अर्थशास्त्रियों ने यह निष्कर्ष निकाला की 2050 तक मलेरिया से दुनिया को मुक्ति दिलाई जा सकती है। मलेरिया उन्मूलन पर द लांसेट द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में इस महामारी से निपटने के विज्ञान और वित्तीय विश्लेषणों का अध्ययन किया गया है। 2000 के बाद से दुनिया में मलेरिया के मामलों और मृत्युदर में क्रमश: 36 और 60 फीसद की गिरावट आई है। 2017 में 86 देशों में मलेरिया से 21.9 करोड़ मामले सामने आए और इसमें 4,35,000 लोगों की इस बीमारी की वजह से मौत हो गई थी।
वहीं, अगर वर्ष 2000 के आंकड़े देखें तो पता चलता है कि तब 26.2 करोड़ मामले सामने आए थे और 8,39,000 लोगों की मौत हुई थी। वर्तमान में दुनिया के आधे देश मलेरिया से मुक्त हो चुके हैं। हालांकि, प्रत्येक वर्ष मलेरिया के 20 करोड़ मामले सामने आते हैं। अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के 55 देशों में मलेरिया के मामले बढ़ रहे हैं। दुनिया के 29 देशों (27 अफ्रीका के) में मलेरिया के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। विश्व में इससे होने वाली 85 फीसद मौतें इन्हीं देशों में होती हैं।
वैश्विक मलेरिया के 36 फीसद मामले मात्र दो देशों नाइजीरिया और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो से सामने आते हैं। वहीं, दूसरी ओर 38 देश ऐसे हैं जहां 1000 की आबादी में 10 से भी कम मलेरिया के मामले सामने आते हैं और मलेरिया से होने वाली मौतों के केवल पांच प्रतिशत मामले ही इन देशों से होते हैं। यह दिखाती है कि दुनिया में विशेष तौर पर गरीब और पिछरे देश इस बीमारी से अधिक प्रभावित हैं।
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